राज्यपाल व मंत्रियों के बीच फिर जुबानी जंग

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ व राज्य के मंत्रियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है. सपत्नीक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के कटाक्ष से नाराज राज्यपाल ने कहा कि इससे उनकी संकुचित मानसिकता झलकती है. मुख्यमंत्री भी एक महिला हैं, ऐसे में उन्हें हस्तक्षेप करना […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 19, 2020 1:23 AM

कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ व राज्य के मंत्रियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है. सपत्नीक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के कटाक्ष से नाराज राज्यपाल ने कहा कि इससे उनकी संकुचित मानसिकता झलकती है. मुख्यमंत्री भी एक महिला हैं, ऐसे में उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए और शिक्षा मंत्री को अनुचित बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.

दरअसल बीते 15 जनवरी को पार्थ चटर्जी ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकारी कार्यक्रम हो या फिर कपिलमुनि आश्रम में पूजा-पाठ, सभी जगह राज्यपाल को सपत्नीक देखा जाता है. किसी बैठक में आखिर उनकी पत्नी को क्यों शामिल होना चाहिए, मैं उनका सम्मान करता हूं. लेकिन मैंने इससे पहले किसी अन्य राज्यपाल को ऐसा करते नहीं देखा. पार्थ ने यह भी कहा कि राज्यपाल व उनकी पत्नी यहां जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर कार्य कर रहे हैं.
इसे लेकर राज्यपाल को सांगठनिक स्तर पर बताना होगा कि वे जो कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं. पार्थ चटर्जी के बयान पर शनिवार को पलटवार करते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक महिला के लिए उनका उक्त बयान अनुचित है. यह बयान उनकी संकुचित मानसिकता को दर्शाता है. इस राज्य की मुख्यमंत्री महिला हैं, इसलिए उन्हें इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए. इस बयान के लिए शिक्षा मंत्री को चाहिए कि वे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें.
तृणमूल नेताओं ने फिर की आलोचना
राज्यपाल के इस बयान के बाद शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने राज्यपाल की आलोचना की. श्री चटर्जी ने कहा कि राज्य में ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गयी है, जब राज्यपाल किसी भी मुद्दे पर बयान देने से नहीं चूकते हैं. राज्यवासी अपने शिष्टाचार को नहीं भूलते हैं.
अनायास ही किसी को लेकर कुछ भी कह देना उचित है क्या? उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिससे किसी को ठेस पहुंचे. संवैधानिक पद की गरिमा होती है, उस पर आसीन व्यक्ति को इसका ख्याल रखना चाहिए. इधर, श्री हकीम ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के हर कार्यों में दखल देना व बयानबाजी करना उचित नहीं है.
आरोप के अनुसार राज्यपाल हर मुद्दों पर बयान देने से बचें, तो उन्हें लोगों से और ज्यादा सम्मान मिलेगा. उल्लेखनीय है कि यह पहला मामला नहीं है, जब राज्यपाल और शिक्षा मंत्री के बीच जुबानी जंग देखने को मिली है. इससे पहले भी राज्य के अन्य मंत्रियों ने राज्यपाल पर जुबानी हमला किया है तो राज्यपाल ने भी इस पर टिप्पणी की है.

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