विधायक की हत्या के मामले में मुकुल ने दायर की अग्रिम जमानत याचिका

कोलकाता : नदिया के कृष्णगंज के विधायक सत्यजीत विश्वास की हत्या मामले में अग्रिम जमानत याचिका लेकर सोमवार को भाजपा नेता मुकुल राय कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंचे. तीन जनवरी को न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ उक्त मामले पर सुनवाई करेगी. उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कृष्णगंज के तृणमूल कांग्रेस विधायक सत्यजीत विश्वास […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 31, 2019 5:52 AM

कोलकाता : नदिया के कृष्णगंज के विधायक सत्यजीत विश्वास की हत्या मामले में अग्रिम जमानत याचिका लेकर सोमवार को भाजपा नेता मुकुल राय कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंचे. तीन जनवरी को न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ उक्त मामले पर सुनवाई करेगी.

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कृष्णगंज के तृणमूल कांग्रेस विधायक सत्यजीत विश्वास की हत्या मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट भारतीय जनता पार्टी के नेता मुकुल राय की गिरफ्तारी पर पहले भी रोक लगा चुकी है. विधायक की गोली मार कर हत्या में तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया था, जबकि हंसखाली थाने में दर्ज एफआइआर में मुकुल राय का भी नाम शामिल था.
नौ फरवरी को तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत विश्वास अपनी पत्नी और सात महीने के बेटे के साथ सरस्वती पूजा के कार्यक्रम में गये थे, जहां अज्ञात हमलावरों ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी.
विधायक की हत्या के बाद राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया था. इसी दौरान जेल मंत्री उज्जवल विश्वास ने टीएमसी विधायक की हत्या के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था तो वहीं भाजपा ने इस हत्या के पीछे तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी कलह को जिम्मेदार ठहराते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी. सोमवार को हाइकोर्ट में मामला दायर होने के बाद मुकुल राय के वकील शुभाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि इस मामले में आगे भी मुकुल राय की गिरफ्तारी पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने अग्रिम स्थगनादेश दिया था. उसी मामले में निचली अदालत के आदेश पर राज्य की जांच एजेंसी सीआइडी ने जांच की.
द्वितीय बार हुई सीआइडी जांच में दायर चार्जशीट में रानाघाट के सांसद जगन्नाथ सरकार और भाजपा नेता मुकुल राय का नाम आया है. इसी मामले में जमानत के लिए मुकुल राय ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उक्त मामले से उनके मुवक्किल का कोई लेना देना नहीं है. केवल राजनैतिक उद्देश्य साधने के लिए उनका नाम इससे जोड़ा जा रहा है. उन्हें जानबूझ कर परेशान करने के लिए राज्य में 25 से ज्यादा मामले दायर किये गये हैं.

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