ऑनलाइन खरीदारी पर मिलती है छूट पर बाजारों में ही मिलता है अच्छा सामान

कोलकाता : इन दिनों में देश में कई ऑनलाइन कंपनियों ने अपना व्यापार शुरू किया है. लुभावने डिस्काउंट और घर बैठे बाजार करने के कॉनसेप्ट ने देश के पारंपरिक बाजार की अवधारणा को ही बदल कर रख दिया है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे व्यापारी हुए हैं. वर्तमान परिवेश में ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 20, 2019 2:24 AM

कोलकाता : इन दिनों में देश में कई ऑनलाइन कंपनियों ने अपना व्यापार शुरू किया है. लुभावने डिस्काउंट और घर बैठे बाजार करने के कॉनसेप्ट ने देश के पारंपरिक बाजार की अवधारणा को ही बदल कर रख दिया है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे व्यापारी हुए हैं. वर्तमान परिवेश में ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार की चुनौतियां विषय पर प्रभात खबर द्वारा आयोजित परिचर्चा में व्यापारियों ने खुले मन से अपनी बात रखी.

बालकृष्ण खंडेलवाल (अध्यक्ष, फेजरेशन ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल) : ऑनलाइन व्यवसाय का असर छोटे व्यावसायियों पर पड़ रहा है. यह पारंपरिक व्यापार को तबाह कर देगा. ये लोग ज्यादा संख्या में माल खरीदते हैं. इसके साथ ही नुकसान सहने की क्षमता असीम है. इस वर्ष अमेजन और फ्लिपकार्ट ने एक हजार करोड़ रुपया से ज्यादा का नुकसान भी किया है. लेकिन छोटे व्यवसायी इससे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.
तारकनाथ त्रिवेदी (महासचिव, फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल) : निश्चित रूप से व्यवसायी घबराये हुए हैं क्योंकि यह दौर उनके जीवन-मरण का दौर है. ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम इतना खतरनाक है कि ये अपनी कंपनी को स्केलअप करते हैं ब्रांड वैल्यू बढ़ाते हैं. अपनी कंपनी को बढ़ाने के लिए नकुसान भी उठाते हैं लेकिन इसमें सबसे ज्यादा नुकसान ग्राहकों को ही उठाना पड़ता है.
कलाचंद्र सेनगुप्ता,(उपाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल) : ऑनलाइन व्यवसाय ने छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ दी है. प्रतियोगिता में मुकाबला नहीं कर पाने के कारण बहुत सारी दुकाने बिक गयीं और कई बिकने वाली हैं. ये लोग जहां जनता को धोखा दे रहे हैं वहीं सरकार का टैक्स भी चोरी कर रहे हैं.
प्रद्युत विश्वास (सचिव) : देशभर में 16 करोड़ से ज्यादा छोटे दुकानदार और व्यापारी हैं. ऑनलाइन बाजार से छोटे व्यापारियों की रोजी-रोटी छीन जायेगी.
भरत मिश्रा, समाजसेवी व व्यवासायी : भारत जैसे देश में जहां कि आबादी लगभग डेढ़ अरब है, वहां ऐसे बाजार या व्यापार को बढ़ावा देना होगा जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो, रोजगार सृजन के अवसर हों.
गौतम मजूमदार, व्यवसायी : यदि सरकार देश के पारंपरिक छोटे दुकानदारों और व्यवसायों को बचाना चाहती है तो सबसे पहले वह ऑनलाइन कंपनियों के लिए अलग से जीएसटी निर्धारित करे.
स्नेहाशीष घोष चौधरी (फुटवीयर के व्यवसायी): ऑनलाइन बाजार एक सपनों का बाजार है और इसके ग्राहक सोते हुए बाजार करते हैं, उन्हें कुछ नहीं पता होता कि आखिर वह क्या खरीद रहे हैं.
कौशिक चक्रवर्ती, फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल, ईस्ट कोलकाता के सचिव : ऑनलाइन बाजार का सस्ता-सुंदर ज्यादा दिन नहीं चलने वाला. देश में अभी तो ऑनलाइन बाजार की शुरुआत है. जनता सब देख रही है. ऑनलाइन खरीदारी की कमियों से जनता धीरे-धीरे दो चार हो रही हैं.
एनके साहा : हम अपनी बात को केंद्र सरकार तक ले जाना चाहते हैं. इसके लिए हमारा संगठन रास्ते पर उतर पर प्रदर्शन करेगा.
दिलीप पाल, सदस्य, एफटीओ : लुभावने विज्ञापन देखकर ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन जल्द ही उसके दुष्प्रभाओं से अवगत होकर इससे अलग हो जा रहे हैं.
शेखर रंजन पाल (टेलरिंग व्यवसायी) : यंग जनरेशन को समझाना असंभव कार्य है लेकिन हमारी समस्या को सरकार समझ सकती है. ऑनलाइन में केवल छूट जबकि हॉट-बाजार में मिलता है सामान.
राजेश पांडेय, सदस्य सचिव,एफटीओ : ऑनलाइन बाजार से लड़ने के लिए हम अपनी तैयारी कर रहे हैं और मेरा मानना है कि ऑनलाइन बाजार सतरंगी इंद्र धनुष जैसा है. सतरंगी इंद्रधनुष अपनी छटा कुछ समय के लिए ही बिखेरता है और समाप्त हो जाता है. ऑनलाइन बाजार के साथ भी ऐसा ही होने वाला है.
इसके साथ ही संगठन के सचिव शुभेंदु घोष, एपटीओ कोलकाता इस्ट के अध्यक्ष, रामअवतार शर्मा, मनोरंजन साहा, पीआरओ, एफटीओ गणेश चंद्र पाल, रंजन सिन्हा राय ने भी वक्तव्य रखा.

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