केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ श्रमिक संगठनों ने किया आंदोलन का आह्वान

कोलकाता : भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीतियों में कोई फर्क नहीं है. दोनों की नीतियां जनविरोधी हैं. जनविरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन ही एकमात्र विकल्प है. यह बात सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने कही. वह बुधवार को रानी रासमणि एवेन्यू में आयोजित श्रमिकों की सभा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2019 2:54 AM

कोलकाता : भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीतियों में कोई फर्क नहीं है. दोनों की नीतियां जनविरोधी हैं. जनविरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन ही एकमात्र विकल्प है. यह बात सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने कही. वह बुधवार को रानी रासमणि एवेन्यू में आयोजित श्रमिकों की सभा को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंंने आरोप लगाया कि एक तरफ केंद्र सरकार सदन में अपने बहुमत की संख्या के बल पर जनविरोधी व संविधान विरोधी विधेयकों को पारित कर रही है, वहीं राज्य में लोकतंत्र पर खतरा बना हुआ है. दोनों सरकारों के खिलाफ व्यापक श्रमिक आंदोलन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच साठगांठ है.

तृणमूल सरकार हर मुद्दे पर परोक्ष रूप से केंद्र सरकार को ही मदद कर रही है. केंद्रीय संस्थाओं को बचाने, श्रमिकों का काम बचाने, मजदूरी बचाने, श्रमिकों की छंटनी बंद करने, नये उद्योग लगाने, रोजगार देने, किसानों को फसल का सही मूल्य देने, एनआरसी का विरोध और राज्य बचाओ-देश बचाओ का नारा लेकर केंद्रीय श्रमिक संगठनों की 12 दिवसीय ऐतिहासिक लांग मार्च 30 नवंबर को चित्तरंजन से शुरू हुआ था. बुधवार को लाॅन्ग मार्च महानगर में सभा के माध्यम से समाप्त हुआ.

लांग मार्च में भारी तादाद में लोग शामिल हुए थे, जिसकी वजह से महानगर की यातायात व्यवस्था जैसे थम-सी गयी थी. लांग मार्च और सभा में राज्य में वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बसु, माकपा के प्रदेश सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा, सीटू के नेता श्यामल चक्रवर्ती, सीटू के राज्य अध्यक्ष सुभाष मुखर्जी, अनादि साहू, एचएमएस के राज्य कमेटी के सचिव एसके पांडे, यूटीयूसी के राज्य कमेटी के सदस्य नरेन दे समेत अन्य श्रमिक व वामपंथी संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे.
इधर, श्रमिक संगठनों के अन्य नेताओं ने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों को बचाने, न्यूनतम वेतन की गारंटी, नया उद्योग लगाने, किसानों को उनके फसलों को उचित मूल्य देने तथा एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल (कैब) के खिलाफ आगामी आठ जनवरी को देशव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है.

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