“हिम्मत है तो बांग्लादेशी शरणार्थियों की नागरिकता का विरोध करें ममता” : विजयवर्गीय

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा नागरिकता संसोधन विधेयक (कैब) का विरोध करने व पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने की घोषणा पर भाजपा ने करारा हमला करते हुए चुनौती दी है कि ममता बनर्जी को यदि हिम्मत है तो बांग्लादेश शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करेगा. केंद्र सरकार बंगाल में रहनेवाले बांग्लादेशी शरणार्थियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2019 2:30 AM
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा नागरिकता संसोधन विधेयक (कैब) का विरोध करने व पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने की घोषणा पर भाजपा ने करारा हमला करते हुए चुनौती दी है कि ममता बनर्जी को यदि हिम्मत है तो बांग्लादेश शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करेगा. केंद्र सरकार बंगाल में रहनेवाले बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देगी.
यह केंद्र सरकार का अधिकार है. इसमें राज्य सरकार कुछ भी नहीं कर पायेगी. भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने लोकसभा में सीएबी विधेयक पारित होने के बाद मंगलवार को प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा : मुख्यमंत्री का बयान पूरी तरह से बचकना है. यह गंभीर मुख्यमंत्री का बयान नहीं है.
संविधान के अनुसार हमारे देश में संघीय शासन व्यवस्था है. केंद्र सरकार को नागरिकता देने व कानून बनाने का अधिकार है. संसद यदि कानून बनाती है और तय कर लेती है कि किसको नागरिकता देना है या नहीं, तो इसमें मुख्यमंत्री या राज्य सरकार की भूमिका नहीं रह जाती है. केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का विधेयक लोकसभा में पारित किया है. कानून बन जाने के बाद ममता इसे नहीं रोक पायेंगी.
उन्होंने कहा : जबदरस्ती दंभ दिखाना और अंहकार दिखाना ममता जी के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने कहा : मैं ममतादी जी को चुनौती देता हूं कि वह बोलें कि बांग्लादेश से जो हिंदू शरणार्थी पश्चिम बंगाल आये हैं, उन्हें नागरिकता नहीं देंगे. इस विधेयक से बंगाल के मतुआ संप्रदाय, नमो शूद्र सभी को नागरिकता मिलेगी, जो लंबे समय से वंचित हैं और नागरिकता के अधिकार का उपभोग नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने कहा : वास्तव में ममता जी बांग्लादेश के घुसपैठियों को नागरिकता दिलाना चाहती हैं, क्योंकि वे उनका वोट बैंक है. उनको अपने वोट बैंक की चिंता है. उन्हें देश की आतंरिक सुक्षा की नहीं, कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों, ड्रग्स का धंधा करने और नकली नोट का कारोबार करने वालों की चिंता है. उन्हें देश की चिंता नहीं है. कुर्सी की चिंता है. उन्हें चिंता है कि कौन उन्हें कुर्सी पर बैठा पाता है.

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