पश्चिम बंगाल में एलएसडी के 50% मरीज गौशर बीमारी से हैं पीड़ित

कोलकाता : लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी(एलएसडीएसएस) ने गौशर बीमारी से पीड़ित मरीजों के संबंध में गौशर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मरीजों, खासकर बच्चों की चुनौतियों के प्रति लोगों को जागरूक किया. कार्यक्रम में उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा मेडिकल शिक्षा के निदेशक डॉ देवाशीष भट्टाचार्य, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 12, 2019 1:53 AM

कोलकाता : लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी(एलएसडीएसएस) ने गौशर बीमारी से पीड़ित मरीजों के संबंध में गौशर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मरीजों, खासकर बच्चों की चुनौतियों के प्रति लोगों को जागरूक किया.

कार्यक्रम में उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा मेडिकल शिक्षा के निदेशक डॉ देवाशीष भट्टाचार्य, इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक डॉ अपूर्व घोष, इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ की प्रोफेसर डॉ मंजरी मित्रा, एलएसडीएसएस के संयुक्त सचिव शिव शंकर चौधरी, एलएसडीएसएस के राष्ट्रीय संयोजक सौरभ सिंह और एलएसडीएसएस के सचिव शशांक त्यागी ने अपने-अपने विचार रखे.
श्री शिव शंकर चौधरी ने कहा कि देश में 250 से अधिक मरीज गौशर बीमारी से पीड़ित हैं. बंगाल में करीब 40 लोग दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं, जिनमें 20 मरीज सिर्फ गौशर बीमारी के हैं. सरकार को चाहिए कि वह बच्चों की दुर्लभ बीमारी का निदान कम उम्र में ही करना शुरू करे.
इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक डॉ अपूर्व घोष ने कहा कि देश में हजार से अधिक मरीज एलएसडी से पीड़ित हैं जिनमें 80 फीसदी बच्चे हैं. गौशर बीमारी लाइसोसोमल स्टोरेज डिजीज के ग्रुप में सर्वाधिक आम बीमारी है.
एलएसडीएसएस के सचिव शशांक त्यागी ने कहा कि एलएसडीएसएस ने सरकार पर काफी दबाव बनाया है कि वादे मुताबिक मरीजों की चिकित्सा के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि जारी करे और नेशनल पॉलिसी फॉर ट्रीटमेंट ऑफ रेयर डिजीज 2017 को लागू करे.

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