‘जय हिंद’ का नारा अनिवार्य करने के लिए कानून बनाये सरकार

मुख्यमंत्री पर राज्य में नफरत की राजनीति करने का लगाया आरोप कोलकाता : ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हिंद, जय बांग्ला’ विवाद बंगाल में थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक अली इमरान रम्ज ने ‘जय हिंद’ नारा बोलने की अनिवार्यता को लेकर कानून बनाने की मांग की. श्री रम्ज ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2019 2:56 AM

मुख्यमंत्री पर राज्य में नफरत की राजनीति करने का लगाया आरोप

कोलकाता : ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हिंद, जय बांग्ला’ विवाद बंगाल में थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक अली इमरान रम्ज ने ‘जय हिंद’ नारा बोलने की अनिवार्यता को लेकर कानून बनाने की मांग की. श्री रम्ज ने सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चल रही बहस में भाग लेते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिंद फौज का गठन कर 2 नवंबर, 1941 को ‘जय हिंद’ का नारा दिया था.
अब मुख्यमंत्री मां, माटी, मानुष की जगह ‘जय हिंद और जय बांग्ला’ का नारा दे रही हैं.उन्होंने कहा कि ‘जय हिंद’ के नारे पर किसी राजनीतिक दल को भी आपत्ति नहीं है. ऐसी स्थिति में वह मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि वे ‘जय हिंद’ नारा बोलने के लिए सरकारी कानून बनायें, ताकि सभी लोग बाध्य होकर ‘जय हिंद’ बोलें. विधानसभा में भी कोई वक्तव्य रखे, तो वह ‘जय हिंद’ बोले. श्री रम्ज ने कहा कि राज्य में ‘जय श्रीराम“ का बीज ममता बनर्जी ने बोया है. सुश्री बनर्जी ने राज्य में नफरत की राजनीति शुरू की है और उन्होंने भाजपा को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा : हमें बंगाल में मुसलमान की सरकार नहीं चाहिए.
हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी की सरकार चाहते हैं. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी का अब तृणमूल कांग्रेस के विधायकों पर से भी विश्वास उठ गया है. अभी तक प्रशांत किशोर अमित शाह और नीतीश कुमार को सलाह दे रहे थे. अब वे तृणमूल कांग्रेस की नैया पार लगायेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पूरे राज्य में प्रशासनिक बैठक करती हैं. उसके लिए 3-4 करोड़ रुपये की लागत से पंडाल बनाये जाते हैं और एक विशेष डेकोरेटर्स को यह जिम्मेदारी दी जाती है और उससे कट मनी लिया जाता है.

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