दस सालों में बंगाल के कई पर्वतारोहियों की हो गयी मौत, हावड़ा के थे तीन

हावड़ा : विश्व की ऊंची चोटियों पर पर तिरंगा फहराने के सपने को लेकर प्रत्येक वर्ष कई बंगाल के पर्वतारोही पहुंचते हैं, लेकिन उनका ये जुनून हमेशा कामयाब नहीं होता है. पिछले एक दशक में पर्वतारोहण के दौरान बंगाल के कई पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है, जिसमें हावड़ा शहर के दो पर्वतारोही शामिल हैं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 8, 2019 5:26 AM

हावड़ा : विश्व की ऊंची चोटियों पर पर तिरंगा फहराने के सपने को लेकर प्रत्येक वर्ष कई बंगाल के पर्वतारोही पहुंचते हैं, लेकिन उनका ये जुनून हमेशा कामयाब नहीं होता है. पिछले एक दशक में पर्वतारोहण के दौरान बंगाल के कई पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है, जिसमें हावड़ा शहर के दो पर्वतारोही शामिल हैं और एक अभी तक लापता है. मृतकों में मध्य हावड़ा के कुंतल कांडार और बाली के दीपंकर घोष शामिल हैं जबकि लापता महिला पर्वातरोही क नाम छंदा गायन है.

1. 20 मई, 2014 को कंचनजंघा की चोटी फतह करने के बाद हावड़ा की छंदा गायन ने कंचनजंघा के पश्चिम श्रृखंला इयालू कांग(8505 मी.)पर चढ़ाई करने की योजना बनायी. इयालू-कैंग का रूट बहुत मुश्किल था. छंदा इस अभियान में निकल पड़ी. उसके इस फैसले में शेरपा की रजामंदी नही थी, लेकिन वह नहीं मानी और इयालू कांग श्रृखंला पर चढ़ाई के दौरान बर्फबारी में छंगा लापता हो गयी. अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है.
2. 19 मई, 2015 को बरानगर के पर्वतारोही राजीव भट्टाचार्य धौलागिरी ( 8157 मीटर) पर तिरंगा फहराने के बाद नीचे उतर रहे थे कि इसी समय 7500 मीटर की ऊंचाई पर बर्फबारी होने की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गयी और उनकी मौत हो गयी.
3. 20 मई, 2015 को तीन पर्वतारोहियों की मौत एवरेस्ट अभियान के तहत हुई. इनमें परेश नाथ, सुभाष पाल और गौतम घोष नीचे उतर रहे थे कि इसी समय तीनों की तबीयत बिगड़ गयी. बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से तीनों अस्वस्थ हो गये और उनकी मौत हो गयी.
4. 18 मई, 2019 को मध्य हावड़ा के पंचान्नतल्ला के रहनेवाले कुंतल कांडार और कोलकाता के रहनेवाले विप्लव बैद्य कंचनजंघा अभियान के दौरान मारे गये.
5. 15 मई, 2019 को बाली के रहनेवाले दीपंकर घोष मकालू पर्वत अभियान के दौरान भारी बर्फबारी के शिकार हो गये. सात दिनों के बाद उनका शव मिला.

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