पीजी में खुलेगा 244 बेडों वाला ट्रॉमा सेंटर

कोलकाता : कहा जाता है कि जख्मी मरीज को जो सबसे पहले छूता है, उसी से उस शख्स के बारे में नतीजा तय होता है. इसमें सीधे तौर पर इस बात पर जोर है कि गोल्डेन आवर यानि अहम अवधि के भीतर अस्पताल पहुंचने से पहले सही ट्रॉमा केयर सेंटर में ट्रांसफर के साथ बचाव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 3, 2019 2:03 AM

कोलकाता : कहा जाता है कि जख्मी मरीज को जो सबसे पहले छूता है, उसी से उस शख्स के बारे में नतीजा तय होता है. इसमें सीधे तौर पर इस बात पर जोर है कि गोल्डेन आवर यानि अहम अवधि के भीतर अस्पताल पहुंचने से पहले सही ट्रॉमा केयर सेंटर में ट्रांसफर के साथ बचाव और देखभाल अहम है.

गोल्डेन आवर जख्मी होने के बाद के एक घंटे की अवधि को कहा जाता है. हालांकि, भारत में कई जख्मी मरीज 4-6 घंटे या इससे भी ज्यादा देरी से आपातकालीन चिकित्सा कक्ष में ले जाया जाता है.
दुर्घटना में शिकार लोगों के लिए ट्रामा केयर की भूमिका काफी अहम होती है. अगर समय रहते गंभीर रुप से घायल मरीज को ट्रॉमा केयर सेंटर तक पहुंचा दिया जाये, तो उसे बचाया जा सकता है. इसकी गंभीरता को देखते हुए कोलकाता में पूर्वी भारत का पहला लेबल वन ट्रामा केयर सेंटर को जल्द चालू किया जायेगा. ट्रामा केयर सेंटर बन के तैयार है. पीजी में खुलने वाले इस ट्रॉमा केयर के लिए 10 मंजिली इमारत तैयार की गयी है.
244 वेड क्षमता वाले ट्रॉमा केयर को ग्रीन, येलो व रेड तीन जोन बनाये गये हैं. ग्रीन जोन में ऐसे मरीजों को इलाज किया जायेगा, जिन्हें भर्ती रखने की आवश्यकता नहीं होगी. ऐसे मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा के बाद छुट्टी दे दी जायेगी, जबकि येलो जोन में सर्जरी की आवश्यकता वाले मरीज को रखा जायेगा. वहीं किसी दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल व्यक्ति को रेड जोन में रखा जायेगा. इस जोन में आईटीयू व क्रिटिकल केयर यूनिट(सीसीयू) आईटीयू की व्यवस्था रखी गयी है.
एसएसकेएम (पीजी) के अधीक्षक प्रो. डॉ रघुनाथ मिश्रा ने बताया कि राज्य सरकार के फंड से इस तैयार किया गया है, जो अत्याधुनिक चिकित्सकीय उपकरण से युक्त पूर्वी भारत का एक मात्र लेवल वन ट्रामा केयर सेंटर हैं. न्यूरो सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, जनरल सर्जरी व कार्डियोथोरेसिक विभाग के डॉक्टर 24 घंटे मौजूद रहेंगे.

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