भाजपा और तृणमूल मतदाताओं के लिए जहर की तरह : वृंदा

खड़गपुर : माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने पश्चिम बंगाल के लोगों को भाजपा या राज्य की सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस को वोट देने के खिलाफ लोगों को आगाह करते हुए कहा कि ‘जहर कोई भी हो, जानलेवा होता है.’ भगवा पार्टी के राज्य में पैठ बनाने और वाम वोट के बड़े स्तर पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 18, 2019 1:35 AM

खड़गपुर : माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने पश्चिम बंगाल के लोगों को भाजपा या राज्य की सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस को वोट देने के खिलाफ लोगों को आगाह करते हुए कहा कि ‘जहर कोई भी हो, जानलेवा होता है.’ भगवा पार्टी के राज्य में पैठ बनाने और वाम वोट के बड़े स्तर पर खिसकने की आशंका के बीच करात ने राज्य में वाम दलों की स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की, जहां उसने 34 साल तक शासन किया.

करात ने हाल में दिये साक्षात्कार में कहा : आप यह नहीं सोच सकते कि आप यह या वह जहर चख सकते हैं. तृणमूल की नीतियों से बंगाल के लोगों में पार्टी के खिलाफ गहरा असंतोष है. भाजपा अपनी केंद्रीय-राज्य ताकतों तथा धन बल का इस्तेमाल कर यह जताने की कोशिश कर रही है कि यहां पर वही एक विकल्प है.

यह लोगों के लिए जहर के दो विकल्प की तरह है : भाजपा और तृणमूल कांग्रेस. कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर, एक समय माओवादियों के गढ़ रहे बेलपहाड़ी में माकपा कार्यालय में उन्होंने मतदाताओं को तृणमूल कांग्रेस या भाजपा को वोट डालने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि ‘जहर कोई भी हो जानलेवा होता है.’ कोलकाता में हालिया झड़पों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व वाले काफिले के लोगों ने तोड़फोड़ की और ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति को तोड़ा गया.

उन्होंने कहा : इन गुंडों की ऐसी हरकत हैरान करनेवाली और शर्मनाक है और यह संघ परिवार और उसकी संस्कृति का असली चेहरा दिखाती है. तृणमूल कांग्रेस ने भी टकराव भड़काने में भूमिका निभायी क्योंकि ध्रुवीकरण का माहौल बनाने में समान रूप से उसकी भी दिलचस्पी है.

उन्होंने कहा : चुनाव आयोग को काफिले और उसके बाद के घटनाक्रम का असंपादित आधिकारिक फुटेज जारी करना चाहिए. बंगाल के लोगों और सभी नागरिकों को सत्य जानने का अधिकार है. भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में दो पर जीत हासिल की थी. करात के मुताबिक 2011 से 2016 तक वाम कार्यकर्ताओं पर हमलों का तीखापन बढ़ता गया. उन्होंने दावा किया कि वाम नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक लाख से ज्यादा झूठे मामले दर्ज किये गये और तृणमूल कांग्रेस के आंतक के कारण माकपा के करीब 20,000 कार्यकर्ता अभी भी अपने घर नहीं लौट पाये हैं. राज्य में वाम समर्थक बने रहना मुश्किल हो गया है.

करात के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और भाजपा, पश्चिम बंगाल में वाम को मुख्य विपक्ष मान रहे हैं और उसके समर्थकों को निशाना बनाने का प्रयास चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया : यह जिला, जहां अभी हम हैं, यह आदिवासी जिला है. पिछले दशक में माओवादी या माओवादी-तृणमूल कांग्रेस-भाजपा भिड़ंत के नाम पर हम अपने 468 कार्यकर्ताओं को खो चुके हैं.
उन्होंने राज्य में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच साठगांठ होने के भी आरोप लगाये. उन्होंने कहा : भाजपा ने लालू, द्रमुक, चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल किया. ममता को छोड़कर कौन-सी पार्टी बची है? इतने सबूत के बावजूद सारदा, नारद मामले पर पांच साल नरम रुख क्यों अपनाया गया? इन सवालों का जवाब कौन देगा?’

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