सिर्फ सत्ता बदलना नहीं भाजपा से मुक्ति चुनाव का मूल मकसद : सीताराम येचुरी

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस और भाजपा हर मुद्दे पर एक-दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ रहे हैं. चाहे वह रामनवमी के उपलक्ष्य में शोभायात्रा निकाले जाने का हो या अन्य मुद्दा. देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने पर जोर दिया जा रहा है. पश्चिम बंगाल की तरह ही पूरे देश में लोगों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 15, 2019 6:23 AM

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस और भाजपा हर मुद्दे पर एक-दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ रहे हैं. चाहे वह रामनवमी के उपलक्ष्य में शोभायात्रा निकाले जाने का हो या अन्य मुद्दा. देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने पर जोर दिया जा रहा है.

पश्चिम बंगाल की तरह ही पूरे देश में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले जारी है. यदि देश को बचाना है तो भाजपा को हटाना पड़ेगा. बात यदि पश्चिम बंगाल को बचाने की हो तो तृणमूल कांग्रेस को हटाया जाना जरूरी है.
दोनों दलों की हार जरूरी है. भाजपा के केंद्र में सत्ता में रहने के दौरान देश की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गयी है. भाजपा की केंद्र सरकार ने पूरे देश में ‘मेगा लूट’ किया है. यह आरोप माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने लगाया है.
रविवार को माकपा राज्य कमेटी के कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि माकपा की लोगों से प्रमुख अपील यह है कि भाजपा को इस बार लोकसभा चुनाव में दोबारा सत्ता में नहीं आने दें. केवल सत्ता बदलना नहीं बल्कि भाजपा से मुक्ति है चुनाव में माकपा का मूल मकसद. माकपा धर्मनिरपेक्ष समर्थक सरकार गठन के पक्ष में है.
माकपा के धर्मनिरपेक्ष समर्थक सरकार गठन के पक्ष में होने और दूसरी ओर कई जगहों पर कांग्रेस के विरूद्ध चुनाव के मैदान में आमने-सामने होने के प्रश्न पर माकपा नेता ने कहा कि वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद माकपा व अन्य वाम दलों ने यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन किया था.
उस वक्त वाम दलों के विजयी होने वाले ऐसे उम्मीदवारों की संख्या करीब 57 थी जिनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ हुई थी. चूंकि उस वक्त भी वाम दलों का मुख्य एजेंडा था कि देश में धर्मनिरपेक्ष समर्थक सरकार बने.
देश के अलग-अलग राज्यों में कई क्षेत्रीय दल चुनाव में आमने-सामने हैं. चुनाव के बाद ही यह समीकरण बन पायेगा कि कैसे धर्मनिरपेक्ष समर्थक सरकार का गठन हो पाये.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत हुए मतदान के दौरान राज्य में कुछ जगहों पर हुई गड़बड़ी संबंधी आरोपों के प्रश्न पर सीताराम येचुरी ने कहा है कि पहले चरण के तहत हुए मतदान से वे संतुष्ट नहीं हैं. कथित तौर पर चुनाव आयोग की जैसी भूमिका होने की आशा की गयी थी आयोग की भूमिका वैसी नहीं रही है.
उन्होंने कहा है कि सोमवार को उपरोक्त मसले को लेकर माकपा के प्रतिनिधि चुनाव आयोग के अधिकारी से मिलेंगे और पहले चरण के तहत हुए मतदान की स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखेंगे. इधर अलग गोरखालैंड राज्य बनाने के मसले पर माकपा नेता ने स्पष्ट कहा कि वे इसका समर्थन नहीं करते हैं.
सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार प्राकृतिक संसाधनों की लूट और गरीबों के लिए ज्यादा तकलीफ के दो स्तंभों पर खड़ी है. आरोप के अनुसार इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी हार सामने देखकर चुनावों के ध्रुवीकरण के लिए सैन्य बलों के इस्तेमाल की कोशिश कर रही है.
येचुरी ने कहा कि हाल में एक रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि पांच सालों में कारोबारियों के करीब 5.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है.

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