जादवपुर : सोमनाथ को हरा ममता ने किया था अचंभित

1984 में दो बार के सांसद सोमनाथ को 19,660 मतों से हराया था 29 वर्ष की उम्र में बनीं थीं सबसे कम उम्र की सांसद कोलकाता : जादवपुर लोकसभा केंद्र से लगातार दो बार के सांसद रहे सोमनाथ चटर्जी को पराजित कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इतिहास रचते हुए पूरे देश को अचंभित कर दिया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 23, 2019 1:45 AM

1984 में दो बार के सांसद सोमनाथ को 19,660 मतों से हराया था

29 वर्ष की उम्र में बनीं थीं सबसे कम उम्र की सांसद
कोलकाता : जादवपुर लोकसभा केंद्र से लगातार दो बार के सांसद रहे सोमनाथ चटर्जी को पराजित कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इतिहास रचते हुए पूरे देश को अचंभित कर दिया था. वह मात्र 29 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र की लोकसभा सांसद निर्वाचित हुई थीं. उस समय वह प्रदेश कांग्रेस की महासचिव थीं और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनकी लड़ाकू छवि को देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया था.
सुश्री बनर्जी ने कद्दावर माकपा नेता श्री चटर्जी को 19,660 मतों से पराजित किया था और इस जीत के बाद वह बंगाल की राजनीति में प्रमुख चेहरे के रूप में उभरी थीं और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी नेताओं में शामिल हो गयी थीं.
सुश्री बनर्जी को चुनाव में 50.87 फीसदी मत के साथ कुल 3,31,618 मत मिले थे, जबकि वरिष्ठ माकपा नेता व दो बार के सांसद सोमनाथ चटर्जी को 47.85 फीसदी के साथ कुल 3,11, 958 मत मिले थे.
उल्लेखनीय है कि 31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सिख सुरक्षा गार्डों ने प्रधानमंत्री आवास में ही इंदिरा गांधी पर गोलियों की बौछार कर उनकी हत्या कर दी थी. उनकी हत्या के दो महीने के भीतर ही राजीव गांधी के नेतृत्व में 1984 का लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनावों में कांग्रेस को 542 में से 415 सीटों पर जीत मिली थी और राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन सुश्री बनर्जी ने इस चुनाव में जीत के बाद बंगाल की राजनीति में अपना कदम रखा था.
उसके बाद हालांकि 1989 में कांग्रेस विरोधी लहर में सुश्री बनर्जी जादवपुर लोकसभा केंद्र से माकपा की उम्मीदवार मालिनी भट्टाचार्य से पराजित हुई थीं, लेकिन 1991 मेें सुश्री बनर्जी दक्षिण कोलकाता से लोकसभा चुनाव लड़ी और विजयी हुई थीं. उसके बाद से 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में पांच बार निर्वाचित हुईं. हालांकि 2011 में बंगाल की मुख्यंमत्री निर्वाचित होने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और भवानीपुर विधानसभा केंद्र से लगातार विधायक निर्वाचित हुई हैं.

Next Article

Exit mobile version