तृणमूल को झटका, भाटपाड़ा से विधायक अर्जुन सिंह ने थामा भाजपा का दामन

कोलकाता/नयी दिल्ली : उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गये. उन्होंने नयी दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और वरिष्ठ नेता मुकुल राय की उपस्थिति में भाजपा का दामन थामा. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 15, 2019 1:51 AM

कोलकाता/नयी दिल्ली : उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गये. उन्होंने नयी दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और वरिष्ठ नेता मुकुल राय की उपस्थिति में भाजपा का दामन थामा.

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में कहा: पश्चिम बंगाल की भाटापाड़ा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह का भारतीय जनता पार्टी में स्वागत है. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित सांसद अनुपम हाजरा व कुछ और नेता कुछ ही दिन पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौमित्र खां भी भाजपा में शामिल हुए थे.

जानकारी के अनुसार, झारखंड जाने की बात कह कर बुधवार की रात नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद विधायक अर्जुन सिंह विमान से रात में दिल्ली पहुंच गये. दिल्ली में देर रात तक मुकुल राय व कैलाश विजयवर्गीय के साथ बैठक करने के बाद सुबह श्री राय के साथ भाजपा दफ्तर पहुंचे. कैलाश विजयवर्गीय ने उनको अंग वस्त्र पहना कर भाजपा में शामिल कराया.
भाजपा में शामिल होने के बाद अर्जुन सिंह ने प्रभात खबर को फोन पर बताया कि वह मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के बयानों और सैनिकों की शहादत पर उनकी खामोशी से दुखी थे, लेकिन जब भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक कर बदला लिया तब ममता बनर्जी सबूत मांगने लगीं. तभी उन्होंने (अर्जुन सिंह) फैसला कर लिया था कि उनकी (ममता बनर्जी) पार्टी में वह नहीं रहेंगे.
उन्होंने कहा कि वह पिछले 30 साल से ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने जिस तरह से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज कर पीछे धकेला, उससे काफी दुखी थे. तृणमूल कांग्रेस में पुराने लोग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. पार्टी का मतलब पहले मां माटी मानुष हुआ करता था, लेकिन अब मनी, मनी, मनी हो गया है. पुराने कार्यकर्ता खुद को इस माहौल में खपा नहीं पा रहे हैं.

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