युवाओं में बढ़ा ऑनलाइन वॉर गेम का क्रेज

कोलकाता : पिछले महीने पुलवामा आतंकी हमले और भारतीय वायुसेना द्वारा एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच युवाओं में वॉर और बैटलफील्ड मोबाइल गेम का जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से पुराने मोबाइल गेम के साथ-साथ नये गेम को डाउनलोड करनेवाले यूजर्स की संख्या में काफी इजाफा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 11, 2019 5:46 AM
कोलकाता : पिछले महीने पुलवामा आतंकी हमले और भारतीय वायुसेना द्वारा एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच युवाओं में वॉर और बैटलफील्ड मोबाइल गेम का जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से पुराने मोबाइल गेम के साथ-साथ नये गेम को डाउनलोड करनेवाले यूजर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
इस समय कॉम्बैट और शूटिंग गेम्स में पीयूबीजी, फोर्टनाइट, ग्रैंड थेफ्ट ऑटो सैन ऐंड्रियास और कॉल ऑफ ड्यूटी में पुराने गेमर के साथ कुछ नये गेमर भी जुड़ गये हैं. अब इसमें वीडियो गेम भी जुड़ गये हैं जिनके नाम एलओसी सर्जिकल स्ट्राइक, स्पेशल फोर्सेज इंडियन आर्मी, सर्जिकल स्ट्राइक काउंटर अटैक और एयर स्ट्राइक फाइटर थ्री डी हैं.
इन्हें कुछ दिनों पहले ही तैयार किया गया है और इन्हें डाउनलोड करनेवालों यूजर्स की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. 17 साल के अभिक राय भी इन दिनों युद्ध से जुड़े विडियो गेम खेल रहे हैं. इसमें वह पैराशूट लेकर युद्ध के मैदान में उतरते हैं. इसके बाद असाल्ट राइफल्स, हैंड ग्रैनेड और मशीन गन को हथियार के रूप में चुनकर दुश्मनों से लोहा लेते हैं.
वार गेम्स के लिए बढ़ता रुझान समाज के लिए खतरे की घंटी
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद से हर किसी के मन में गुस्सा है. ऐसे में इस तरह के गेम के जरिये वे डिजिटल माध्यम से आतंकी और घुसपैठियों को खदेड़कर गुस्सा निकाल रहे हैं.
वर्चुअल प्लेटफार्म में दुश्मनों को ढेर करना उनके लिए फील गुड फैक्टर की तरह है, हालांकि कुछ समाजविद् का मानना है कि वार गेम्स के प्रति बच्चों की बढ़ती दिलचस्पी समाज के लिए खतरे की घंटी की तरह भी है. इस तरह के खेलों में हिंसा और युद्ध दिखाया जाता है, जिससे बच्चों में समाज के प्रति संवेदनहीन होने की संभावना प्रबल हो जाती है.

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