कोलकाता : मुख्यमंत्री ने किया दावा, बंगाल में 8.5 करोड़ लोगों को मिल रहा दो रुपये दर से चावल

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खाद्य साथी दिवस के मौके पर दावा किया है कि उनकी सरकारने राज्य भर में 8.5 करोड़ लोगों को दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल वितरण सुनिश्चित किया है. रविवार सुबह सीएम ने इस बारे में ट्वीट किया. ममता ने लिखा कि आज खाद्य साथी दिवस है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 28, 2019 4:00 AM

कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खाद्य साथी दिवस के मौके पर दावा किया है कि उनकी सरकारने राज्य भर में 8.5 करोड़ लोगों को दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल वितरण सुनिश्चित किया है. रविवार सुबह सीएम ने इस बारे में ट्वीट किया.

ममता ने लिखा कि आज खाद्य साथी दिवस है. पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यभर में 8.5 करोड़ से अधिक लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है. इन लोगों को दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल दिया जाता है.

इसके बाद ममता ने दावा किया कि हमारी सरकार जंगलमहल के आदिवासियों और ओला प्रभावित क्षेत्रों के लोगों, सिंगूर के किसानों, चाय बागान के मजदूरों और टोटो आदिवासी समुदाय के लिए खाद्य सुरक्षा योजना में विशेष पैकेज रखी है, जो और भी सस्ता है.
उल्लेखनीय है कि केंद्र की खाद्य सुरक्षा योजना को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 जनवरी 2016 को राज्य में कम सब्सिडी वाले मूल्य पर अनाज को वितरित करने के लिए ‘खाद्य साथी योजना’ के नाम से शुरू की है.
खाद्य साथी योजना के अंतर्गत सरकार ने 8.5 करोड़ लोगों को चावल और गेहूं को दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान किया है. पश्चिम बंगाल में लगभग 90 फीसदी आबादी को लगभग 50 लाख लोगों को बाजार मूल्य के आधे मूल्य में चावल और गेहूं मिल जायेगा.
इस खाद्य योजना के लिए लाभार्थियों में जंगलमहल क्षेत्र के 33 लाख लोग, पुरुलिया जिले के 12 लाख सूखा प्रभावित लोगों को चाय बागानों और उनके परिवारों, चक्रवात प्रभावित लोगों, सिंगूर के लोग, जो अपनी जमीन खो चुके हैं, कोलकाता के बेघर लोग और खाद्य साथी योजना के तहत दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र में रहनेवाले लोग शामिल हैं.
इस योजना का उद्देश्य लक्षित लाभार्थियों जैसे गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों को सब्सिडी वाले चावल प्रदान करना है. भोजन की कीमत दिन-ब-दिन बढ़ रही है और ऐसी परिस्थिति में गरीब परिवारों की स्थिति भी बदतर हो गयी है, क्योंकि उनके पास बाजार दर पर अनाज खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं है.
गरीब और वंचित परिवारों को उन्हें अनाज प्रदान करने में मदद करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है.

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