कोलकाता : तृणमूल ने ओड़िशा में विस्तार की बनायी योजना, पहुंचे डेरेक

कोलकाता : सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के अलावा सीमावर्ती राज्यों में भी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ममता ने कहा था कि बंगाल के अलावा असम, झारखंड, ओड़िशा और त्रिपुरा में भी पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार उतारेगी. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सीमावर्ती […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 28, 2019 3:34 AM

कोलकाता : सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के अलावा सीमावर्ती राज्यों में भी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ममता ने कहा था कि बंगाल के अलावा असम, झारखंड, ओड़िशा और त्रिपुरा में भी पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार उतारेगी.

मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सीमावर्ती राज्य ओड़िशा में संगठन विस्तार और लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए पार्टी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन रविवार को ओड़िशा पहुंच गये हैं. वह कटक के 150 साल पुराने रेवेशा कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित किये. इस कालेज में उनके दादा एपी ओ ब्रायन 1948 से 1962 तक अंग्रेजी विभाग के मुख्य शिक्षक थे. इसलिए उनका भाषण सुनने के लिए बड़ी संख्या में कॉलेज के पूर्व छात्र आये थे.
उसके बाद शाम को ओड़िशा के तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय में वह पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा. उनके साथ इस दौरान ओड़िशा के कार्यवाहक सुधांशु शेखर पंथी भी मौजूद थे. बैठक में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी उतारने समेत तमाम तरह की चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई.
तृृृृणमूल सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ओड़िशा की प्रदेश पार्टी इकाई की ओर से डेरेक ओ ब्रायन को संभावित उम्मीदवारों की सूची भी
सौंपी जायेगी, जिसका अंतिम फैसला वह लेंगेे. गौरतलब है कि इसके पहले असम में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा था, लेकिन सब की जमानत जब्त हो गयी थी. इसके बावजूद ओड़िशा में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा ममता बनर्जी ने की है.
यहां लोकसभा की 21 सीटें हैं और राज्यसभा की 10 सीटें. राज्य में बीजू जनता दल सत्तारूढ़ पार्टी है और भारतीय जनता पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आयी है. ऐसी भी चर्चा चल रही थी कि वाराणसी की तरह ओड़िशा के पुरी से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ सकते हैं.
वहीं, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में भाजपा ओड़िशा फतह की रणनीति बना रही है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के खिलाफ भाजपा तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए वहां अपनी जमीन बना ली है. इन दोनों मुख्य पार्टियों की लड़ाई के बीच तृणमूल कांग्रेस भी सेंधमारी में लगी हुई है.
तृणमूल का दावा है कि लंबे समय तक नवीन पटनायक के मुख्यमंत्री रहने की वजह से वहां एक एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी चल रहा है. इसके अलावा देश भर में भाजपा से भी लोग खुश नहीं हैं. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस विकल्प के तौर पर उभरने की कोशिश में संगठन विस्तार करने में जुट गयी है. वहां कांग्रेस भी धीरे-धीरे कमजोर होती चली गयी है. तृणमूल का मानना है कि निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने पर राज्य में संगठन की शक्ति बढ़ेगी.

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