कोलकाता : गुनाह करनेवाले रखेंगे गुनाह पर नजर

विकास गुप्ता, कोलकाता : समाज व परिस्थिति के भंवर में फंसकर गुनाह के रास्ते में चलकर अपराध करने के बाद इसकी सजा काट रहे कैदी अब खुद ही अपराध पर लगाम कसने के लिए प्रशिक्षित हो रहे हैं. दमदम सेंट्रल जेल में यह अनोखी पहल की गयी है. जेल सूत्रों के मुताबिक चोरी, डकैती, लूट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 24, 2019 2:07 AM

विकास गुप्ता, कोलकाता : समाज व परिस्थिति के भंवर में फंसकर गुनाह के रास्ते में चलकर अपराध करने के बाद इसकी सजा काट रहे कैदी अब खुद ही अपराध पर लगाम कसने के लिए प्रशिक्षित हो रहे हैं. दमदम सेंट्रल जेल में यह अनोखी पहल की गयी है.

जेल सूत्रों के मुताबिक चोरी, डकैती, लूट व मारपीट करने के दोषी कैदियों को यह ट्रेनिंग दी जा रही है. जेल अधिकारी बताते हैं कि पहले जेल से सजा काटकर बाहर निकलनेवाले कैदियों के लिए खुद को समाज की मुख्यधारा में लौटाना काफी मुश्किल होता था. इस कारण जेल में कैदियों को कई तरह की ट्रेनिंग देने का फैसला लिया गया. इसमें सिक्योरिटी गार्ड का प्रशिक्षण भी शामिल है.

जेल में एनजीओ दे रही है ट्रेनिंग
जेल सूत्र बताते हैं कि दमदम सेंट्रल जेल में बापी, मुकेश, शिशुपाल समेत तकरीबन 30 कैदियों को इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है. इनमें उन्हें ड्रिल परेड, चेकिंग, गार्डिंग व भीड़ पर काबू पाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. जेल प्रबंधन का कहना है कि जेल में तीन महीने तक दी जानेवाली इस ट्रेनिंग में रोजाना दो से तीन घंटे तक कैदी प्रशिक्षित हो रहे हैं. (
इस ट्रेनिंग के बाद जेल से निकलकर ये कैदी किसी भी गैर सरकारी संस्थान में आसानी से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी पा सकेंगे.
लोगों से बेहतर संपर्क साधने का भी प्रशिक्षण
जेल प्रबंधन का कहना है कि आमतौर पर बाहर निकलनेवाले कैदियों के प्रति समाज दूसरी भावना रखता है. इसे ध्यान में रखते हुए इन्हें दी जानेवाले ट्रेनिंग में लोगों से बेहतर संपर्क साधने की भी ट्रेनिंग शामिल है. इस ट्रेनिंग के बाद यहां से निकलकर कैदी समाज व नौकरी के दौरान लोगों से बेहतर ढंग से पेश आयेंगे. इससे उनके प्रति लोगों की विचारधारा भी बदलेगी.
क्या कहते हैं जेल के अधिकारी
इस मामले में दमदम सेंट्रल जेल के अधीक्षक देवाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि सही और गलत काम से अनजान रहने के कारण गुनाह के रास्ते पर चलकर अपराध करनेवाले ये लोग यहां से लौटने के बाद समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकें. जेल प्रबंधन की तरफ से इसकी एक कोशिश की गयी है. जेल में इस तरह की और भी ट्रेनिंग दी जा रही है. भविष्य में कैदियों को और भी नयी ट्रेनिंग देने का प्रयास किया जाये, यही उनकी कोशिश रहेगी.

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