कोलकाता : विश्व धरोहर की मान्यता से उत्साहित अर्द्ध कुंभ को महाकुंभ में बदला

नवीन कुमार राय, कोलकाता : भले ही इस बार तीर्थराज प्रयाग में धार्मिक आधार पर अर्ध कुंभ है, लेकिन यूनेस्को द्वारा मान्यता मिलने से उत्साहित उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आयोजनों और प्रचार से इसको महाकुंभ का दर्ज दे दिया है. 15 जनवरी से मेला शुरू हो रहा है. 71 देशों के पांच हजार से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 7, 2019 4:40 AM
नवीन कुमार राय, कोलकाता : भले ही इस बार तीर्थराज प्रयाग में धार्मिक आधार पर अर्ध कुंभ है, लेकिन यूनेस्को द्वारा मान्यता मिलने से उत्साहित उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आयोजनों और प्रचार से इसको महाकुंभ का दर्ज दे दिया है.
15 जनवरी से मेला शुरू हो रहा है. 71 देशों के पांच हजार से ज्यादा विदेशी श्रद्धालु कुंभ स्नान करने आ रहे हैं. उम्मीद है कि इस बार छह लाख लोग कुंभ में डुबकी लगायेंगे. इसके लिए राज्य सरकार ने जोरदार तैयारी की है.
उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में हर छह वर्ष के बाद कुंभ का आयोजन किया जाता है. इस बार खास बात यह है कि प्रशासन ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन किया है. इस मेला को लेकर 671 जनकल्याणकारी परियोजनाओं को पिछले डेढ़ साल में पूरा कर लिया गया है. इसमें तकरीबन सभी परियोजनाएं स्थायी हैं.
बजट के लिहाज से देखा जाय तो 2019 में 2800 करोड़ रुपये इस मेला के लिए आवंटित किये गये हैं. इसके अलावा अन्य बजट से मिला कर कुल 4300 करोड़ रुपये खर्च करके इस मेले का आयोजन किया जा रहा है.
यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए राज्य सरकार ने महज डेढ़ साल के अंदर नौ फ्लाई ओवर बनाकर सुगम यातायात का इंतजाम किया है. यहां पर एक ही पीलर पर चार लेन की चौड़ाई में 1325 मीटर लंबे फ्लाई ओवर का निर्माण 14 महीने के रिर्काड समय में किया गया है.
इसके अलावा सघन आबादी वाले क्षेत्रों में छह डाट पुल का भी निर्माण किया गया है. केवल एक वर्ष के अंदर सड़कों को चा लेन तक चौड़ा कर दिया गया है. इसका फायदा मेला के बाद प्रयागराज के स्थानीय निवासियों को मिलता रहेगा.
मेला को लेकर पहली बार 64 से अधिक यातायात चौराहों तथा मेले को जोड़ने वाली 264 सड़को को चौड़ा करने के साथ मजबूती प्रदान किया गया है. इसके अलावा प्रयागराज के सभी अस्पतालों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से लैस किया गया है. ताकि विश्व के 71 देशों से आने वाले प्रतिनिधि और श्रद्धालुओं को आधुनिक भारत की झलक यहां पर मिल सके. हालांकि जनवरी महीने में प्रवासी भारतीय दिवस का सम्मेलन वाराणसी में होगा और फरवरी महीने में 192 देशों के प्रतिनिघि इस कुंभ में आएंगे.
मेला को देखते हुए नये नगर की स्थापना की जा रही है. इसके लिए 250 किलोमीटर सड़कें और 22 पाण्टून पुल होंगे. यह विश्व का सबसे बड़ा स्थायी नगर होगा. सिर्फ इतना ही नहीं मेला प्रांगण रोशन रहे और पछियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए विद्युत उपलब्धता को बरकरार रखते हुए 40 हजार से ज्यादा एलईडी लाइट लगाकर दुधिया रोशनी से रोशन करने की योजना है.
कुल मिलाकर उप्र सरकार इस मेला को लेकर काफी गंभीर है और इसके मार्फत वह पूरे विश्व को सनातन धर्म की महानता और उसकी उदारता का संदेश देना चाहती है. लिहाजा सरकार की ओस से किसी भी तरह से कोई कोताही नहीं बरतने का निर्णय लिया गया है.

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