कोलकाता : भूत-प्रेत पर नहीं, सत्संग पर करें विश्वास : क्षमारामजी

कोलकाता : भगवान शंकर का परिवार हमारे लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है कि कैसे प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाया जाये. शंकर के पास बैल है, तो पार्वती के पास सिंह, दोनों में बैर है. ठीक उसी तरह शंकर के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है, तो शिव के गले में सर्प, मोर और सर्प […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 27, 2018 1:18 AM
कोलकाता : भगवान शंकर का परिवार हमारे लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है कि कैसे प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाया जाये. शंकर के पास बैल है, तो पार्वती के पास सिंह, दोनों में बैर है. ठीक उसी तरह शंकर के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है, तो शिव के गले में सर्प, मोर और सर्प की बैरी जगजाहिर है. वैसे ही गणेशजी का वाहन चूहा है तो शिव के गले में सर्प.
मतलब यह कि शिव परिवार के पास रहने वाले लोग प्रतिकूलताओं को भी अपने अनुकूल बना लेते हैं. राम का बनवास नहीं होता तो उनके निर्विकार का पता कैसे चलता. राजा दशरथ एक दिन दर्पण में अपना चेहरा देखते हैं तो पाते हैं कि उनके बाल सफेद हो रहे हैं. मतलब मौत समीप आ रही है. उन्होंने निर्णय किया कि राम का राज्याभिषेक कर दिया जाये. जैसे यह बात देवताओं को पता चली, तो उन्होंने सरस्वती जी से अनुरोध किया कि ऐसा नहीं होने दें. अयोध्या के किसी व्यक्ति की मति को फेर दें.
मां सरस्वती ने अयोध्या में आकर देखा कि सबके हृदय में राम के प्रति भक्ति है तो किस पर मैं अपना जादू चलाऊं. आज कल लोग टोना और भूत-प्रेत में विश्वास करते हैं लेकिन मेरा मानना है कि जिसका हृदय पवित्र होगा, जीवन में सत्संग होगा, उसे भूत-प्रेत का भय नहीं होगा और नहीं किसी के बहकावे में आकर उसकी बुद्धि, कुबुद्धि होगी. राम की पसंदगी के चलते राजा दशरथ कैकयी से बहुत प्रेम करते हैं. राजा दशरथ भगवान राम के प्रेमी व भक्त हैं. श्रेष्ठ व्यक्ति के पास जब विपत्ति आती है, तो उसकी श्रेष्ठता चमकती है, मतलब समय की प्रतिकूलता में भी उसकी भागवत भक्ति प्रकट होती है.
जब विपरीत परिस्थिति आये, तो साहस के साथ उसका मुकाबला करना चाहिए. ये बातें हावड़ा सत्संग समिति के तत्वावधान में श्री रामचरित मानस के परायण पाठ के अवसर पर सिंहस्थल पीठाधीस्वर क्षमाराज महाराज ने हावड़ा हाउस में कहीं. इस अवसर पर संत रामपाल, केशोराम अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी, मनमोहन मल्ल, पुरुषोत्तम पचेरिया, पवन पचेरिया, हरिभगवान तापड़िया, महावीर प्रसाद रावत सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे.

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