बांग्लादेश से बंगाल तक टुकड़ों में बिकता रहा उसका शरीर

विकास गुप्ता कोलकाता : राज्य में आये दिन महिला तस्करी के अनगिनत मामले सुनने को मिलते हैं. जिस्म के सौदागर पहले अपने प्रलोभन से मां-बाप को अपने वश में करते हैं. फिर कभी किशोरी को शादी का प्रलोभन देकर तो कभी उसे अच्छी नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला इस धंधे में धकेल देते हैं. इनमें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 15, 2018 9:22 AM
विकास गुप्ता
कोलकाता : राज्य में आये दिन महिला तस्करी के अनगिनत मामले सुनने को मिलते हैं. जिस्म के सौदागर पहले अपने प्रलोभन से मां-बाप को अपने वश में करते हैं.
फिर कभी किशोरी को शादी का प्रलोभन देकर तो कभी उसे अच्छी नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला इस धंधे में धकेल देते हैं. इनमें जिनका नसीब साथ देता है, वे नर्क के इस दलदल से बाहर निकलने में कामयाब होती हैं, लेकिन अधिकतर किशोरियां इस भंवर से निकल नहीं पातीं.
तहकीकात कॉलम में इस बार बांग्लादेश से काम के बहाने सीमा पार कर इस देश में आयी 16 वर्ष की एक किशोरी अनजाने में कैसे इस भंवर में फंसी, गिरोह के हाथों रिहा होने पर उसने पुलिस के सामने आपबीती बतायी.
ललाबाजार के सामने वह किशोरी जब मांगने लगी मदद
मध्य कोलकाता से हावड़ा की तरफ जा रही एक बस जैसे ही डलहौसी के करीब पहुंची, उसमें बैठी एक किशोरी अचानक जोर से रोने और चिल्लाने लगी. वह खुद को मुसीबत में बताकर यात्रियों से मदद मांग रही थी.
उसके साथ बैठा व्यक्ति उसे डांटकर चुप कराने की कोशिश कर रहा था. लेकिन किशोरी की चीख बंद नहीं हो रही थी. बस चालक ने देर नहीं करते हुए लालबाजार के सामने बस को रोककर उस किशोरी को पुलिसवालों के हवाले कर दिया. खबर पाकर हेयर स्ट्रीट थाने की पुलिस वहां पहुंची और उस किशोरी के साथ मौजूद दो व्यक्ति को भी अपने साथ थाने ले आयी.
आया के काम के लिए आयी, लेकिन होने लगा शरीर का सौदा
पुलिस सूत्र बताते हैं कि थाने में लाने के बाद प्राथमिक पूछताछ में किशोरी ने बताया कि वह बांग्लादेश के ढाका में स्थित गुलिस्तान की रहनेवाली है. परिवार की आमदनी ज्यादा नहीं होने के कारण वहां वह बड़ी होने के बाद आसपास के घरों में थोड़ा काम कर लिया करती थी.
इसी बीच उसके परिवार में किसी ने सीमा पार भारत में लड़कियों के लिए घरेलू देखभाल के लिए आया का काफी काम होने की जानकारी दी. यह भी बताया गया कि महीने में इस काम के लिए 10 से 15 हजार रुपये तक मिल जाते हैं. यह सुनकर परिवार के लोगों के दबाव में वह इस काम के लिए राजी हो गयी और 2017 के फरवरी महीने में सीमा पार कर बनगांव पहुंची.
गिरोह को पकड़ने गयी पुलिस पर हुआ हमला, पांच पुलिसकर्मी हुए घायल
किशोरी के बयान को सुनकर हेयर स्ट्रीट थाने की महिला सब-इंस्पेक्टर व इस मामले की जांच अधिकारी श्रावंती घोष ने मामले की जांच शुरू की और बस में किशोरी के साथ मौजूद गुलाम मुस्तफा मंडल, इबादुल्लाह तरफदार और हसीना मंडल को गिरफ्तार किया गया.
इसके बाद प्रमुख आरोपी अब्दुल कलाम तरफदार को पकड़ने के लिए पांच पुलिसकर्मियों की एक टीम बनगांव के गोपालनगर में पहुंची.
वहां आरोपी की शह पर आसपास के लोगों ने पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला कर दिया. इसमें अधिकतर पुलिसवाले जख्मी हुए. इसके बावजूद अब्दुल कलाम तरफदार को गिरफ्तार कर लिया गया. प्राथमिक पूछताछ में पता चला कि अब्दुल कलाम का छह सदस्यों का गिरोह हैं, जो महिला तस्करी के धंधे में जुड़ा है. इस गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस पकड़ चुकी है, अन्य दो सदस्य अबतक फरार हैं. उनकी तलाश जारी है.
सुधार गृह में स्वदेश लौटने का इंतजार कर रही किशोरी
महिला तस्करों के हाथों रिहा करायी गयी किशोरी अपने साथ हुए दर्दनाक हादसों को भूलने की कोशिश कर रही है.एक स्वयंसेवी संस्था की मदद से सुधारगृह में उसे उसके देश वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है. इधर, पुलिस के हाथ आये चारों आरोपी जेल हिरासत में हैं. पुलिस की तरफ से इस मामले की चार्जशीट अदालत में पेश करने के बाद इसकी सुनवाई शुरू हो गयी है, जिससे आरोपियों को सख्त सजा दिलायी जा सके. पुलिस ने लोगों को भी सतर्क किया है कि वे ऐसे लोगों से सावधान रहेें जो गरीब लोगों की बेटियों को अच्छी नौकरी देने का लालच देते हैं. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के कई सीमावर्ती जिलों में महिला तस्कर गिरोह काफी सक्रिय है.
तस्कर ने बनाया अघोषित पत्नी, आठ माह में दर्जनों बार बिका शरीर
पुलिस सूत्रों के मुताबिक थाने में किशोरी ने कहा कि बनगांव में आने के बाद गोपालनगर में वह अब्दुल कलाम तरफदार नामक एक प्रमोटर के पास वह काम के लिए पहुंची.
गोपालनगर आते ही उसे उस व्यक्ति ने अपनी अघोषित पत्नी बना लिया और पहले खुद उससे शरीर से खेला, फिर छह महीने में दर्जनों बार उसके शरीर का सौदा दूसरों के सामने करता गया. जिस काम के लिए वह बांग्लादेश से बंगाल आयी थी, वह काम तो उसे मिला ही नहीं, साथ ही दिन गुजरने के साथ ही अपनी जिंदगी को लेकर उसके सपने टूटते चले गये. वह अब सिर्फ एक बेजुबान इंसान बनकर रह गयी थी.
20 हजार रुपये में बिकने के बाद नागपुर भेजी जा रही थी वहबयान में किशोरी ने बताया कि इसी बीच अब्दुल के कहने पर उसके किसी मित्र ने नागपुर में 20 हजार रुपये में उसके शरीर का सौदा कर दिया था. जिसके बाद उसे नागपुर भेजने की कोशिश शुरू हो गयी. 11 अक्तूबर 2017 को गोपालनगर से कोलकाता लाकर उसे बस से हावड़ा से ट्रेन के रास्ते नागपुर ले जाया जा रहा था. इसी बीच, मौका देखते ही अन्य लोगों की मदद से नर्क भरी इस जिंदगी से आजाद होने के लिए उसने बस में शोर मचाया था.

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