भागवत और शाह की सभा की अनुमति नहीं देने पर जुबानी जंग तेज
कोलकाता: संघ प्रमुख मोहन भागवत की सभा के लिए महाजाति सदन नहीं देने को लेकर चल रही जुबानी जंग तेज हो गयी है. नेताओं के बाद सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री के बाद राज्यपाल की जुबानी जंग शुरू हो जाने से अनुमति नहीं दने का विवाद सुर्खियों में आ गया है. इसी कड़ी में अब भाजपा […]
कोलकाता: संघ प्रमुख मोहन भागवत की सभा के लिए महाजाति सदन नहीं देने को लेकर चल रही जुबानी जंग तेज हो गयी है. नेताओं के बाद सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री के बाद राज्यपाल की जुबानी जंग शुरू हो जाने से अनुमति नहीं दने का विवाद सुर्खियों में आ गया है. इसी कड़ी में अब भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की सभा के लिए नेताजी इंडोर स्टेडियम नहीं मिलने की बात कह कहकर प्रदेश भाजपा ने विवाद के जुबानी जंग में घी डालने का काम किया है.
संघ प्रमुख तीन सितंबर को सिस्टर निवेदिता मिशन ट्रस्ट नामक एक स्वयंसेवी संस्था ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसके लिए महाजाति सदन में उनकी सभा करने की बात थी. आयोजक जब हाल बुक करने पहुंचे तो उन्हें हाल किराये पर नहीं दिया गया. वजह बताते हुए कहा गया कि उस समय हाल की मरम्मत का काम होगा, जबकि आयोजकों का आरोप है कि पहले महाजाति सदन में सभा करने को लेकर इस तरह की कोई बात सामने नहीं आयी. हाल की देखरेख करनेवाले लोग बुकिंग करने को तैयार थे. लेकिन जैसे ही मोहन भागवत का नाम आया लोग बिदक गये. मामला राजनीतिक रंग ले लिया. इस पर खुद त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने ट्वीट कर एतराज जताया और कहा कि जिन्होंने महाजाति सदन की बुकिंग रद्द की वह इतने बीमार हैं कि उन्हें सही कारण बताने का साहस नहीं है. इसके बदले वह मूर्खतापूर्ण गलत बायनाबाजी कर रहे हैं. इस पर तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्य सभा के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तथागत के ट्वीट पर सवाल उठाया और कहा कि क्या यह आदमी किसी राज्य का राज्यपाल है? उनका आशय राज्यपाल के बायन से था. हालांकि राज्य के खाद्यमंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने सफाई देते हुए कहा कि इस तरह का विवाद बनाना भाजपा का शगल है. हम लोग पहले ही पूजा के दौरान मरम्मत और रख-रखाव के लिए इसे कुछ दिनों तक किराये पर नहीं देने का एलान किया था. खुद उनकी पार्ट के छात्र संगठन तृणमूल छात्र परिषद ने यहां सभा करने की अनुमति मांगी थी, जिसे इसी आधार पर हमलोगों ने नहीं दिया. अब इस तरह का बखेड़ा खड़ा करने का कोई मतलब नहीं है. राज्यपाल को अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए.
इधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सायंतन बसु ने आरोप लगाया है कि अमित साह के कोलकाता दौरे के लिए 11 से 13 सितंबर के बीच हमलोग भाजपा अध्यक्ष अमित साह की सभा नेताजी इंडोर स्टेडियम में करना चाहे तो अनुमति नहीं दी गयी. इसके अलावा राज्य सरकार के अधिन किसी भी बड़े हाल को नहीं दिया जा रहा है. बाध्य होकर हमलोग केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहनेवाले किसी हाल में सभा करने जा रहे हैं. यह सब तृणमूल कांग्रेस के मानसिकता को दर्शाता है कि वे लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.
इधर नाम नहीं लेते हुए नजरूल मंच में शिक्षक दिवस की सभा में ममता बनर्जी कहती हैं कि कुछ लोग हैं जो बंगाल से जलते हैं वे यहां की मेधा और ताकत का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं तो बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.