पहाड़ के हालात के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार : वातर

दार्जीलिंग. पहाड़ की इस स्थिति के लिए वरिष्ठ माकपा नेता केवी वातर ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पत्रकारों को संबोधित करते हुए माकपा की दार्जीलिंग जिला सचिव मंडली सदस्य श्री वातर ने कहा कि अलग राज्य गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर 1986 में भी बड़ा आंदोलन हुआ था, लेकिन उस वक्त गोरखाली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 5, 2017 7:57 AM
दार्जीलिंग. पहाड़ की इस स्थिति के लिए वरिष्ठ माकपा नेता केवी वातर ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पत्रकारों को संबोधित करते हुए माकपा की दार्जीलिंग जिला सचिव मंडली सदस्य श्री वातर ने कहा कि अलग राज्य गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर 1986 में भी बड़ा आंदोलन हुआ था, लेकिन उस वक्त गोरखाली और बंगाली के बीच कभी लड़ाई-झगड़ा नही हुआ था. लेकिन इस बार गोरखा और बंगाली के बीच टकराव हो रहा है जिसके लिए राज्य की तृणमूल सरकार जिम्मेदार है.
श्री वातर ने कहा कि विमल गुरूंग के कैबनेट स्तर के पद पर होने के बावजूद उनके कार्यालय में पुलिस छापामारी की गयी. पुलिस ने एक तो मोरचा के तीन समर्थकों को गोली चलाकर मार दिया और ऊपर से इस हत्याकांड का आरोप मोरचा प्रमुख विमल गुरूंग व अन्य शीर्ष नेताओं पर थोप दिया. यह सरासर गलत है. श्री वातर ने कहा कि इस स्थिति में दार्जीलिंग के सांसद सुरेंद्र सिंह अहलुवालिया को पहाड़ पर होना चाहिए. उन्होंने पहाड़ पर शांति लौटाने के लिए केंद्र सरकार से जल्द त्रिपक्षीय वार्ता कराने की मांग भी की.
एक सवाल के जवाब में माकपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने न तो गोरखालैंड का समर्थन किया है और न विरोध, लेकिन दार्जीलिंग हिल की माकपा गोरखालैंड के समर्थन में है. उन्होंने गोरखालैंड आंदोलन को और प्रभावशाली बनाने के लिए उसे लोकतांत्रिक और गांधीवादी नीतियों के साथ आगे बढ़ाने का सुझाव भी दिया. श्री वातर ने कहा कि आंदोलन ने हिंसक रूप धारण किया तो सरकार पुलिस के बूते उसे दबा देगी.
उन्होंने कहा कि गोरखालैंड विरोधियों को भी पहाड़ से नही खदेड़ना होगा और न ही उन लोगों के घरों में तोड़फोड़ करनी होगी. इस तरह के कार्य करने पर गलत संदेश जा सकता है. सबको साथ में लेकर आंदोलन करने से ज्यादा लाभ मिलेगा.

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