मोदी मैजिक से उम्मीद लगाये बैठी है भाजपा

आसनसोल : आजादी के बाद से भारत में कई चुनाव हुए, पर 2014 का लोकसभा चुनाव एक मील का पत्थर साबित हुआ. इस चुनाव में उठी मोदी नामक आंधी के सामने भारतीय राजनीति के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गये. बंगाल को भाजपा के लिए अछूत बतानेवालों को भी आसनसोल की जनता ने जोरदार झटका देते हुए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 8, 2016 7:31 AM
आसनसोल : आजादी के बाद से भारत में कई चुनाव हुए, पर 2014 का लोकसभा चुनाव एक मील का पत्थर साबित हुआ. इस चुनाव में उठी मोदी नामक आंधी के सामने भारतीय राजनीति के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गये. बंगाल को भाजपा के लिए अछूत बतानेवालों को भी आसनसोल की जनता ने जोरदार झटका देते हुए बाबुल सुप्रियो को चुन कर संसद में भेज कर एक नया इतिहास लिख डाला था.
2014 और 2016 केबीच काफी कुछ बदल चुका है. इस बार राज्य विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. ज्यादातर स्थानीय मुद्दे हैं, पर भाजपा को इस चुनाव में भी मोदी मैजिक का ही भरोसा है. भाजपा उम्मीदवार निर्मल कर्मकार तो अभी से जीत का दावा कर रहे हैं. श्री कर्मकार का कहना है कि लोकसभा चुनाव में आसनसोल के लोगों ने हमें अपना आशीर्वाद दिया था. इस बार हमारा प्रदर्शन और भी बेहतर होगा.
लोग तृणमूल की पिछले पांच साल की नाकामियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा को ही वोट देंगे.2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल के मलय घटक लगभग 48000 वोट से जीते थे, जबकि भाजपा को केवल सात हजार के करीब वोट मिले थे, लेकिन तीन वर्ष के बाद जैसे अचानक सब कुछ बदल गया और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाबुल सुप्रियो आसनसोल लोकसभा सीट से 60,000 से अधिक वोट से जीत कर लोकसभा पहुंच गये. इस अप्रत्याशित परिणाम के बाद फिर एक चौंकानेवाला नतीजा सामने आया. अक्तूबर 2015 में हुए आसनसोल नगर निगम के चुनाव में तृणमूल ने कुल 32 में से 21 सीटें जीत लीं, जबकि भाजपा को 6 और माकपा को 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वैसे भाजपा उम्मीदवार निगम चुनाव में इस हार के लिए तृणमूल के आतंक व लूटपाट को ही जिम्मेदार मानते हैं.
इधर, तृणमूल इस चुनाव में ममता बनर्जी की विकास की राजनीति की बैसाखी के सहारे मैदान मारने का सपना देख रही है. लोकसभा और निगम चुनाव के बीच आसनसोल की राजनीति में काफी कुछ बदला है, 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे की याद आज भी शासक दल की नींद उड़ा देती है.
हालांकि दलीय उम्मीदवार इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं. उनका कहना है कि पिछले पांच वर्ष में उनकी सरकार ने आसनसोल में विश्वविद्यालय, सीबीआइ कोर्ट, आईटी हब, हिंदी कॉलेज, जिला अस्पताल, महिला थाना इत्यादि काफी काम किया है.
आसनसोल में चारों ओर विकास दिखाई दे रहा है. विकास ही हमारी सरकार और पार्टी का एकमात्र लक्ष्य था और रहेगा. उसी के आधार पर जनता हमें फिर से आशीर्वाद देगी.
इस चुनावी जंग में वाम-कांग्रेस गंठबंधन किसी से पीछे नहीं है. गंठबंधन के नेताओं का दावा है कि एक तरफ मोदी मैजिक दम तोड़ चुका है तो दूसरी ओर ममता बनर्जी की सच्चाई की पोल भी खुल चुकी है. ऐसे में इन दोनों दलों से निराश मतदाता गंठबंधन के सर पर ही जीत का ताज रखेंगे.
आसनसोल उत्तर की कांग्रेस उम्मीदवार इंद्राणी मिश्र का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले किये गये अपने सभी वादों से मोदी सरकार मुंह मोड़ चुकी है. ऐसे में जनता उन पर दोबारा विश्वास कभी नहीं करेगी. दूसरी तरफ तृणमूल नेताओं और मंत्रियों का भ्रष्टाचार दुनिया दिन रात टीवी के परदे पर देख रही है. इन हालात में वाम-कांग्रेस गठबंधन ही एकमात्र विकल्प है.

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