इसीएल मुख्यालय ने मनायी नेताजी की जयंती

सांकतोड़िया : इसीएल मुख्यालय सांकतोड़ीया में नेताजी सुभाष चंद्रबोस की जयंती एक दिन पहले ही मनायी गयी. इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसीएल के निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. मौके पर महाप्रबंधक प्रशासन पीके पात्रा, राजभाषा विभाग के सहायक प्रबंधक जीतन वर्मा सहित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2020 2:03 AM

सांकतोड़िया : इसीएल मुख्यालय सांकतोड़ीया में नेताजी सुभाष चंद्रबोस की जयंती एक दिन पहले ही मनायी गयी. इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसीएल के निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. मौके पर महाप्रबंधक प्रशासन पीके पात्रा, राजभाषा विभाग के सहायक प्रबंधक जीतन वर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

अपने संबोधन में निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाले महान नायकों में से एक नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था. उस वक्त कटक ब्रिटिशकालीन बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था.

जो अब ओडिशा राज्य का एक जिला है. भारता मां गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने में नेताजी ने जो अभूतपूर्व प्रयास किया उसे न सिर्फ सदियों तक याद रखा जाएगा बल्कि देश के नागरिक हमेशा के लिए लिए कृतज्ञ रहेंगे. आजादी के दौरान उन्होंने कई मौकों पर देश में और देश के बाहर अनेकों सभाओं को संबोधित किया. इन्हीं संबोधनों से उनके कुछ ऐसे विचार सामने आए जो नौजवानों में ऊर्जा भरने का काम किया.

चूंकि 23 जनवरी को नेता जी की जयंती थी और दो दिन बाद 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस आ रहा है. मौके पर हम आपको उनके कुछ ऐसे विचारों से रूबरू करा रहे हैं जो मुश्किलों से लड़ने के लिए ऊर्जा देता है. ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिली, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.

नेताजी ने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, (नेताजी ने यह नारा 4 जुलाई 1944 को वर्मा में भारतीयों के सामने दिए भाषण में दिया था. याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है. एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की जरुरत होती है.

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