बोरो के बजाय करें दलहन, मूंगफली की खेती

बर्दवान : पूर्व बर्दवान में आर्सेनिक प्रभावित पूर्वस्थली एक नंबर प्रखंड में केंद्रीय भूमिगत जल विशेषज्ञ अमलान ज्योति कर ने किसानों को भूगर्भस्थ पानी के कम इस्तेमाल करने तथा बोरो खेती कम कर दलहन और मूंगफली आदि की खेती करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सिंचाई तकनीक में बदलाव कर आधुनिक तकनीक टीप-टीप पानी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 16, 2019 6:56 AM

बर्दवान : पूर्व बर्दवान में आर्सेनिक प्रभावित पूर्वस्थली एक नंबर प्रखंड में केंद्रीय भूमिगत जल विशेषज्ञ अमलान ज्योति कर ने किसानों को भूगर्भस्थ पानी के कम इस्तेमाल करने तथा बोरो खेती कम कर दलहन और मूंगफली आदि की खेती करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि सिंचाई तकनीक में बदलाव कर आधुनिक तकनीक टीप-टीप पानी का उपयोग होना चाहिए. इससे कम मात्रा में पानी की खपत होगी.

उल्लेखनीय है कि जिले के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों में दो दशक से पूर्वस्थली एक नंबर प्रखंड पहले स्थान पर था. आर्सेनोकोसिस बीमारी से पीड़ित होकर सैकड़ों ग्रामीणों की मौत हो गई. सात पंचायत के 139 मौजा के भूगर्भस्थ पानी के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए जन संपर्क कार्यक्रम का आयोजन प्रखंड कार्यालय परिसर में किया गया .
विज्ञानी श्री कर ने कहा कि बारिश का परिमाण हर वर्ष कम हो रहा है. शहरीकरण के कारण मिट्टी के नीचे जलस्तर का विकास नहीं हो रहा है. जबकि पूरे दक्षिण बंगाल में बोरो धान की खेती लगातार बढ़ रही है. भले ही कम समय में बोरो खेती से फसल होती है, लेकिन इसमें अधिक मात्रा में पानी लगता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि भूगर्भस्थ पानी का जिन इलाकों में अधिक उपयोग हुआ, वहां आर्सेनिक बीमारी का असर अधिक हुआ. राज्य में 104 प्रखंडों में आर्सेनिक प्रभावित इलाके हैं. बरसात के पानी के संरक्षण तथा कृत्रिम पद्धति से जलस्तर बढ़ाने की सलाह दी गई है. विज्ञानी श्री कर ने कहा कि पूर्वस्थली एक नंबर प्रखंड में दो स्तरों पर जलस्तर है.
पहला मिट्टी के नीचे से 158 मीटर तक तथा दूसरा 190 से 330 मीटर तक. उन्होंने दावा किया कि दूसरे जलस्तर के पानी आर्सेनिक मुक्त है, उनकी सलाह है कि समुद्रगढ़, नसरतपुर, जहांनगर, कुशगडिया, राजापुर, तेलिनीपाडा, निचुचपाटी आदि इलाकों में आर्सेनिक प्रभावित इलाके में कुआं का पानी सेफ है, जबकि कुआं के पास कोई नाली नहीं होनी चाहिए.
कालना अनुमंडल कृषि अधिकारी पार्थ घोष ने बताया कि इस साल बारिश कम होने पर किसानो ने पाट नहीं सड़ाने का निर्णय लिया है. इस कारण कम सिंचाई की खेती की सलाह किसानों को दी गई. पूर्बस्थली एक नंबर प्रखंड के कृषि अधिकारी परितोष हलदार मौजूद थे.

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