कोल श्रमिकों को फिर गुलाम बनाना चाहती है केंद्र सरकार : आरसी सिंह

रूपनारायणपुर : पूर्व सांसद सह कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव आरसी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार कोयला उद्योग में एफडीआइ लागू कर कोल श्रमिकों को फिर गुलाम बनाना चाहती है. एफडीआइ लागू होने से श्रमिकों की रोजगार गारंटी समाप्त हो जायेगी. खदान निजी हाथों में चले जायेंगे और वर्ष 1970 के पहले वाली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 10, 2019 12:59 AM

रूपनारायणपुर : पूर्व सांसद सह कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव आरसी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार कोयला उद्योग में एफडीआइ लागू कर कोल श्रमिकों को फिर गुलाम बनाना चाहती है. एफडीआइ लागू होने से श्रमिकों की रोजगार गारंटी समाप्त हो जायेगी. खदान निजी हाथों में चले जायेंगे और वर्ष 1970 के पहले वाली स्थिति उत्पन्न हो जायेगी.

इसलिए सरकार के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करना होगा. एफडीआइ के खिलाफ ही 24 अगस्त को कोल इंडिया में हड़ताल बुलायी गयी है. इसलिए हड़ताल को सफल बनायें. श्री सिंह सोमवार को इसीएल सालानपुर एरिया के गेस्ट हाऊस में यूनियन की एरिया कमेटी द्वारा आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे.
मौके पर यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष जीएस ओझा, उपाध्यक्ष जानकी साव, विजय मंडल, सांगठनिक सचिव गुरुदास चक्रवर्ती, शैलेन्द्र सिंह, सचिव मंडली सदस्य गोविंद, मनोज सिंह, अमर सिंह, शिनचन बनर्जी, अनिल सिंह, कोषाध्यक्ष अखिलेश सिंह, कार्यकारिणी सदस्य राजेश सिंह आदि उपस्थित थे. सभा में सर्वसम्मति से राजेश सिंह को सालानपुर एरिया जेसीसी का सदस्य नियुक्त किया गया. सभा की अध्यक्षता शैलेन्द्र सिंह ने की.
पूर्व सांसद ने बताया कि वर्ष 2014 में भाजपा की सरकार ने आते ही कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 को पारित कर न सिर्फ कोयला उद्योगों में निजीकरण को लागू किया, बल्कि व्यवसायिक माइनिंग के नाम पर कोयला बेचने की छूट दे दी. कोल इंडिया का 63 हजार करोड़ रुपया से ज्यादा का आरक्षित फंड हड़प लिया. आनुषांगिक कम्पनियों के कोष को भी शेयरों के बाई बैक करवाकर हड़प लिया. देश के विकास में तीन प्रतिशत की भागीदारी अकेले कोल इंडिया निभाती है. ऐसे में इस संस्था के निजी फंड से इसका विकास करने के बजाय इसमें सौ फीसदी एफडीआई लागू कर देश के विकास को बाधित करने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है.
विदेशी कंपनियां यहां सिर्फ मुनाफा कमाने आएंगी. रोजगार सृजन और देश के विकास से उनका कोई लेना देना नहीं होगा. मोदी सरकार ने देशहित के बजाय कुछ पूंजीपतियों के स्वार्थ में यह निर्णय लिया है. इसीएल में हड़ताल को सफल बनाने की रणनीति पर 12 अगस्त को गुजराती भवन में सम्मेलन का होगा. उन्होंने इस सम्मेलन में हर एरिया और कोलियरी शाखा के सदस्यों को उपस्थित रहने की अपील की.

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