आसनसोल से महिला नहीं बन पायी है सांसद

लगातार दो बार महिला प्रत्याशी उतारा तृणमूल सुप्रीमो ममता ने अस्तित्व संकट में आने पर कांग्रेस ने बनाया पिछली बार इंद्राणी को आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में अब तक किसी महिला उम्मीदवार को यहां से चुन कर संसद में नहीं भेजा. हालांकि मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 4, 2019 2:10 AM

लगातार दो बार महिला प्रत्याशी उतारा तृणमूल सुप्रीमो ममता ने

अस्तित्व संकट में आने पर कांग्रेस ने बनाया पिछली बार इंद्राणी को
आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में अब तक किसी महिला उम्मीदवार को यहां से चुन कर संसद में नहीं भेजा. हालांकि मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों पर कम भरोसा जताया है. तृणमूल ने पहली बार दोला सेन (महिला) को यहां से उम्मीदवार बनाया. लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया. राज्य की महिला मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमों ममता बनर्जी ने 17वें लोकसभा चुनाव में आसनसोल से दूसरी बार महिला उम्मीदवार को उतार कर यहां से इतिहास रचने की तैयारी शुरू की है.
1957 में आसनसोल संसदीय क्षेत्र में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. उस दौरान यह दो सांसदों वाली सीट थी. अतुल्य घोष और मनमोहन दास सांसद बने. 1962 के संसदीय चुनाव में आसनसोल सीट एक सदस्य वाली सीट बनी. अतुल्य घोष दूसरी बार यहां के सांसद चुने गये. 1967 के संसदीय चुनाव में डी सेन, 1971 के संसदीय चुनाव में रोबिन सेन, 1977 के संसदीय चुनाव में दूसरी बार रोबिन सेन यहां के सांसद बने, 1980 और 1984 के संसदीय चुनावों में आनंदगोपाल मुखर्जी यहां से सांसद चुने गये.
वर्ष 1989, 1991 और 1996 के चुनाव में लगातार तीन बार हराधन राय सांसद चुने गए. 1998, 1999 और 2004 में लगातार तीन बार विकास चौधरी यहां सांसद चुने गए. उनके निधन के बाद 2005 में यहां हुए उपचुनाव में वंशगोपाल चौधरी यहां के सांसद बने. 2009 के चुनाव में भी श्री चौधरी को जीत मिली. 2014 के लोकसभा चुनाव में बाबुल सुप्रिय बराल यहां के सांसद बने.
यहां की मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं पर कभी दांव नहीं लगाया. कांग्रेस का अस्तित्व जब यहां संकट में पड़ गया तब उसने यहां से इंद्राणी मिश्रा महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा.
तृणमूल ने भी महिला उम्मीदवार के रूप में दोला सेन को यहां से टिकट दिया, लेकिन वह हार गई.तृणमूल ने नारी शक्ति को मजबूत करने और यहां से किसी महिला उम्मीदवार की जीत का इतिहास रचने को लेकर पुनः महिला उम्मीदवार पर दांव लगाया है.

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