दुर्गापुर : कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ

दुर्गापुर : दुर्गापुर पूर्वाचंल सांस्कृतिक सेवा समिति ने सप्तम वार्षिक महोत्सव श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ गुरूवार को एसबी मोङ स्थित श्रीश्री पांचमुखी बालाजी धाम शिव मंदिर में कलश यात्रा से शुरू किया. 501महिलाओं ने सिर पर कलश लेकर करंगापाडा इलाके का परिक्रमा कर वापस मंदिर लौटीं. यात्रा में वृंदावन से आयीं पूज्या देवी मानस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 8, 2019 5:04 AM

दुर्गापुर : दुर्गापुर पूर्वाचंल सांस्कृतिक सेवा समिति ने सप्तम वार्षिक महोत्सव श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ गुरूवार को एसबी मोङ स्थित श्रीश्री पांचमुखी बालाजी धाम शिव मंदिर में कलश यात्रा से शुरू किया.

501महिलाओं ने सिर पर कलश लेकर करंगापाडा इलाके का परिक्रमा कर वापस मंदिर लौटीं. यात्रा में वृंदावन से आयीं पूज्या देवी मानस माधुरी ने कहा कि जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है. इसी कारण उसे आंनद की प्राप्ति नहीं होती है. भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है. यह जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है. भागवत की भक्ति का आदर्श कृष्ण की गोपियां हैं.
गोपियों ने घर नहीं छोड़ा. उन्होंने स्वधर्म त्याग नहीं किया वे वन में नहीं गई फिर भी वह भगवान को प्राप्त कर सकीं. भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है. इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ को पूजन अर्चन किया गया. भगवान की लीला अपरंपार है. वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं.
श्रीमद् भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है. आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की. भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है.
छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल रूपी खटाई से दुध हमेशा फटेगा। छलछिद्र जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है.
छलछिद्र रहित ओर निर्मल मन भक्ति के लिए जरूरी है।पहले दिन भगवान के विराट रूप का वर्णन किया गया। मौके पर अनिल सिंह, ओमप्रकाश सिंह, अनुप यादव, राकेश भटड, रजनी तिवारी, विकास मेहता, विश्वजीत सिंह, शिव नरायन मौर्या, अशोक अगवाल, सतेन्द्र कुमार, सूर्य कैश आदि मौजूद रहे.

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