जानलेवा हो चुका है नुनिया नदी का कल्ला ब्रिज

आसनसोल : कल्ला नूनिया नदी पर बना वर्षों पुराना कल्ला ब्रिज प्रशासनिक उदासीनता के कारण राहगीरों के उपयोग की दृष्टि से असुरक्षित हो चुका है. पुल पर से 24 घंटों छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता है और पुल के दोनों ओर सुरक्षा रैलिंग न होने से कभी भी किसी अप्रिय घटना की आशंका बनी रहती […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 9, 2018 12:27 AM
आसनसोल : कल्ला नूनिया नदी पर बना वर्षों पुराना कल्ला ब्रिज प्रशासनिक उदासीनता के कारण राहगीरों के उपयोग की दृष्टि से असुरक्षित हो चुका है. पुल पर से 24 घंटों छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता है और पुल के दोनों ओर सुरक्षा रैलिंग न होने से कभी भी किसी अप्रिय घटना की आशंका बनी रहती है. नूनिया नदी का कल्ला ब्रिज कल्ला और आसनसोल शहर को जोडता है.
पुल के एक ओर कल्ला ग्राम, इसीएल का केंजद्रीय अस्पताल, इंडियन ऑयल रिफाइनरी प्लांट, इसीएल के ओसीपी तो दूसरी और काजी नजरूल यूनिवर्सिटी व आसनसोल शहर है. प्रतिदिन पुल से हजारों लोग, कई सौ छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन होता है. ब्रिटिश शासन के समय तत्कालिन अंग्रेजी इंजीनियरों द्वारा निर्मित वर्षों पुराना कल्ला पुल अपने उपर से गुजरने वाले देश के कइ महत्वपूर्ण व्यक्तियों के यादों को संजोये हुए है.
पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल, जगजीवन राम ने भीकिया है इसपर से सफर
नदी के दोनों ओर नहीं है रेलिंग, ऊंचाई कम होने से होता है जलजमाव
स्थानीय पार्षद ने किया दावा- पीडब्ल्यूडी शुरू करेगा मरम्मत अगले माह से
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इसीएल के कल्ला सेंट्रल अस्पताल के शिलान्यास के लिए इसी पुल से होकर आसनसोल होते हुए कल्ला पहुंचे थे. कल्ला सेंट्रल अस्पताल के निर्माण के बाद अस्पताल का उदघाटन करने भारत के तत्कालिन प्रथम उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम भी इसी पुल से होकर कल्ला पहुंचे थे. इतने महत्वपूर्ण व्यक्तियों के द्वारा उपयोग किये जाने वाले कल्ला पुल की दुर्दशा और उपेक्षा से स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है.
कल्ला पुल पर नूनिया नदी के किनारे ली क्लब द्वारा प्रभु छठ घाट पर छठ व्रतियों के लिए व्यवस्था की जाती हैं. कमेटी सदस्यों ने भी कहा कि प्रभु छठ घाट पर पहुंचने के लिए हजारों श्रद्धालू कल्ला पुल का उपयोग करते हैँ. पुल के दोनों और रेलिंग न होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
कल्ला सेंट्रल अस्पताल के सीएमओ डॉ सुमित दे ने कहा कि पुल के दूसरी ओर स्थित कल्ला सेंट्रल अस्पताल में प्रतिदिन इसीएल के विभिन्न एरिया से सैकड़ों की संख्या में मरीज आते-जाते हैँ. सांकतोडिया अस्पताल से भी 24 घंटे में कभी भी गंभीर मरीजों को एंबुलेंस व अन्य माध्यमों से कल्ला सेंट्रल अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है. उन्होंने कहा कि अस्पताल से रात के समय गंभीर मरीज को बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में भी रेफर किया जाता है.
उन्होंने भी स्वीकार किया कि कल्ला पुल पर दोनों ओर बेरिकेट न होने से कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है और पुल पर आवागमन के दौरान एंबुलेंस के नियंत्रण खोकर पुल से नदी में गिरने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पुल का रखरखाव पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाता है. इसमें इसीएल की कोई भूमिका नहीं है.
परंतु उन्होंने पुल की मरम्मत और पुल के दोनों ओर रेलिंग लगाये जाने का समर्थन किया. स्थानीय पार्षद नरेंद्र मुर्मू ने कहा कि पुल का रखरखाव करनेवाले विभाग के अधिकारी कई बार पुल का मुआयना कर चुके हैं. पुल की मरम्मत दिसंबर के अंत तक आरंभ होने की संभावना है.

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