वेतनमान में विसंगति से नुकसान, कोयला कर्मी नाराज

सांकतोड़िया : दसवां वेतन समझौता के बाद कर्मियों के समक्ष अब स्थिति स्पष्ट होने लगी है कि उन्हें क्या-क्या नुकसान हो रहा है. कर्मियों की नाराजगी झेलने से बचने को श्रमिक संघ के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. एचएमएस ने कहा है कि वेतन समझौता में खामियों को स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में दूर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 21, 2018 6:05 AM
सांकतोड़िया : दसवां वेतन समझौता के बाद कर्मियों के समक्ष अब स्थिति स्पष्ट होने लगी है कि उन्हें क्या-क्या नुकसान हो रहा है. कर्मियों की नाराजगी झेलने से बचने को श्रमिक संघ के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. एचएमएस ने कहा है कि वेतन समझौता में खामियों को स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में दूर किया गया. इससे दिवंगत कर्मियों के आश्रितों को पहले की तरह अनुकंपा नियुक्ति मिलती रहेगी.
सेवा में रहते हुये दुर्घटना मेंमृत्यु, मेडिकल अनफिट होने पर कोल प्रबंधन 9.3.0, 9.4.0 तथा 9.5.0 के तहत कर्मियों के आश्रितों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति दे रही थी, पर दसवां वेतन समझौता में इसे बदलने का प्रयास किया गया. एचएमएम के केंद्रीयअध्यक्ष रेशमलाल यादव ने बताया कि स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में एचएमएस तथा बीएमएस ने इसका विरोध किया और कमेटी की रिपोर्ट आने तक यथावत लागू रखने के लिये प्रबंधन को सहमत किया.
इस बैठक मेंमाइनिंग स्टाफ के चार्ज एलाउंस को ओवरटाइम से अलग किया गया. इसी तरह महिला आश्रितों की क्षतिपूर्ति राशि बढ़ाकर 26292.97 रुपये करने, शहरी मकान भत्ता व दिव्यांग श्रमिकों को वाहन भत्ता बढ़ाने, सुपरवाइजरीस्टाफ के ओटी, सिलिंग राशि में बढ़ोतरी तथा सेवानिवृत्त श्रमिकों के लिये मेडिकल ट्रस्ट बनवाने एवं उसे अमलीजामा पहनाने का निर्णय लिया गया. श्री यादव ने कहा कि वेतन समझौता में विसंगति होने पर कर्मचारी श्रमिकसंघ की कार्यप्रणाली समझने लगे हैं.
अब यूनियन की सदस्यता का सत्यापन हो रहा है, तो कर्मियों को बरगलाने के लिये धरना प्रदर्शन कर दिखावा किया जा रहा है. अब मजदूरों की बारी है कि गलत समझौता करने वाले ऐसेश्रमिक संघ को अहसास दिलाया जाए ताकि श्रमिक संघ कोयला मजदूरों का शोषण करने के पहले सोचने मजबूर हो जाये.
एचएमएस जनजागरण अभियान चलाकर मजदूरों को वास्तविकता से अवगत कराने में जुट गई है,इससे अन्य श्रमिक संगठन बौखला गये हैं.स्टैंडराइजेशन कमेटी की बैठक में एटक व सीटू के शामिल नहीं होने पर रेशमलाल यादव ने कहा कि संगठन की सदस्य संख्या को लेकर बैठक का बहिष्कार करना न्यायोचित नहींहै. वेतन समझौता में त्रुटियां उजागर होने पर कम्युनिस्ट संगठन अपनी गलती छिपाने के लिये श्रमिकों के बीच सही वेतन समझौता का ढिंढोरा पीट रहे हैं, पर कर्मचारी इनकी वास्तविकता को समझने लगे हैं.
श्री यादव नेबताया कि रविवार ड्यूटी के एवज में दोगुना भुगतान दूसरे वेतन समझौता से जारी है, पर इसे बंद करा दिया गया. इसी तरह सभी एलाउंस फ्रीज कर दिये गये, भूमिगत खदान भत्ता बेसिक का 12.5 फीसदी से घटा कर 9 फीसदी कर दिया. धारा 12.2.0 में बदलाव किये जाने से कर्मियों को भविष्य में काफी नुकसान झेलना पड़ेगा.

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