जीएसटी का गुणा-भाग नहीं समझ पा रहे दुर्गापुर के लोग

छह महीने बीत जाने के बाद भी लोगों को समझने में हो रही है परेशानी जीएसटी की आड़ में अधिक पैसे वसूलने का आरोप प्रशासन की ओर से भी नहीं हुई है कोई सार्थक पहल दुर्गापुर : दुर्गापुर व इसके आसपास के इलाके में जीएसटी को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. जीएसटी के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2017 7:52 AM
छह महीने बीत जाने के बाद भी लोगों को समझने में हो रही है परेशानी
जीएसटी की आड़ में अधिक पैसे वसूलने का आरोप
प्रशासन की ओर से भी नहीं हुई है कोई सार्थक पहल
दुर्गापुर : दुर्गापुर व इसके आसपास के इलाके में जीएसटी को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. जीएसटी के लागू होने के छह महीने का समय बीत जाने के बाद भी लोग इसे पूरी तरह समझ नहीं पाये है.
वहीं इसे लोगो को समझाने के लिए प्रशासन की ओर से भी कोई सार्थक पहल नहीं की गई. इस कारण लोगों के बीच असमंजस बना हुआ है. लोग इसे लेकर परेशान दिख रहे हैं. बताया जाता है िक जीएसटी लागू होने के बाद खुली खुदरा रोजमर्रा की कुछ वस्तुओं पर पहले की अपेक्षा टैक्स कम हुआ है या फिर उनको टैक्स फ्री रखा गया है लेकिन दुकानों पर रेट ज्यों की त्यों ही स्थिर हैं. कुछ चीजों के रेट पहले से ज्यादा हो गये हैं. ऐसा अंदेशा है कि दुकानदार जीएसटी की आड़ में ग्राहकों से ठगी भी करने में लगे हैं.
क्षेत्र के मनीष अग्रवाल, मनोज कुमार,पवन साव, रंजीत शर्मा ने बताया कि रसोई घर में प्रयोग होने वाली खाद्य सामग्री के रेट कम होने के बजाय पहले की अपेक्षा और बढ़ गये हैं जबकि कहा ये जाता रहा था कि जीएसटी लागू होने के बाद खाद्य सामग्री के दाम कम हो जायेंगे.
दुकानदार से कीमत ज्यादा वसूलने पर जब पूछा जाता है तो दुकानदार का जवाब होता है कि जीएसटी की वजह से रेट बढ़े हैं. लोगों ने बताया कि जीएसटी के बारे में जनता को यही पता नहीं है कि किन-किन चीजों पर कितनी जीएसटी लागू हुई है. इसी बात का फायदा दुकानदार उठा रहे हैं.
कुछ खाद्य सामग्री में सरसों तेल पहले 90-100 रुपये प्रतिलीटर पैक मिलता था जो कि अब 110-120 रुपये मिल रहा है. इसी प्रकार जो चावल खुला में 36-38 रुपये प्रतिकिलो मिल रहा था वो भी 40 से 42 रुपये मिल रहा है. रिफाइंड तेल 80 रुपये/लीटर, पामोलीव ऑयल 63-65 रुपये/लीटर था जो जीएसटी के बाद 10 से 15 रुपये और महंगा हो गया है. इसी प्रकार अन्य चीजों के दाम भी आसमान छू रहे हैं.
जीएसटी की वजह से दाम बढ़े या दुकानदारों की मनमानी से बढ़े, वजह जो भी हो भुगतना जनता को करना पड़ रहा है. घरेलू वस्तुओं के दामों में उछाल आने से जीवनयापन करना कठिन हो गया है.
उधर, िकराना वस्तुओं के थोक विक्रेता विजय अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी के दायरे में किसी भी वस्तु पर एक समान टैक्स नहीं है. अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग टैक्स लगाया गया है. लिहाजा, कुछ वस्तुओं के दाम बढ़े तो कुछ के घटे भी हैं.
किस वस्तु पर कितना जीएसटी लगा है, ये याद रखना बड़ा मुश्किल काम है. िकराना की एक दो वस्तुएं तो हैं नहीं, दर्जनों वस्तुएं हैं. सब पर जीएसटी विभिन्न है. इस बाबत दुर्गापुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सचिव भोला भगत का कहना है िक जीएसटी को लाकर लोगों की बीच कुछ संशय बना हुआ है. लोग इसे अभी अच्छी तरह नहीं समझ पा रहे है
इसे समझने में लोगों को थोडा और वक्त लगेगा. उन्होंने कहा की चेम्बर की ओर से जल्द ही जीएसटी को लेकर सेमिनार का आयोजन करने पर विचार किया जा रहा है. जहां सभी वर्ग के लोगों को जीएसटी के बारे में जानकरी दी जायेगी.

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