थमने का नाम नहीं ले रहा विश्व भारती विवादित जमीन मामला, म्यूटेशन के लिए बोलपुर BLRO ऑफिस पहुंचे अमर्त्य सेन

विश्वभारती यूनिवर्सिटी और नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के बीच जमीन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में जमीन म्यूटेशन के लिए अमर्त्य सेन बोलपुर BLRO ऑफिस पहुंचे.

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2023 11:36 AM

बीरभूम, मुकेश तिवारी. नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और विश्व भारती अधिकारियों के बीच भूमि को लेकर तनाव अभी भी जारी है.अमर्त्य सेन ने विवादित भूमि के म्यूटेशन के लिए बोलपुर स्थित बीएलआरओ कार्यालय में आवेदन दिया था. सोमवार दोपहर को अमर्त्य सेन और विश्व भारती के वकीलों के बीच भूमि को लेकर चली बहस के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला अगली सुनवाई फिर होगी. फिलहाल अगली सुनवाई की तारीख नही दी गई है.

बोलपुर BLRO ऑफिस पहुंचे अमर्त्य सेन

बताया जाता है की बोलपुर के भूमि एवं भूमि सुधार विभाग में लंबे सवाल-जवाब सत्र के बाद भी अमर्त्य सेन की जमीन का समाधान नहीं हो सका. एक तरफ अमर्त्य सेन के वकील गोराचंद चक्रवर्ती ने स्वर्गीय आशुतोष सेन की वसीयत पेश की. वही विश्व भारती के वकील सुचरिता विश्वास ने आरोप लगाया कि सीएम अमर्त्य सेन भूमि विवाद को बदले में दस्तावेज देकर राजनीतिकरण कर रही हैं. यानी जमीन विवाद को सुलझाने के लिए अगली सुनवाई हो सकती है.

विश्व भारती ने लगाया है अमर्त्य सेन पर आरोप

विश्व भारती का आरोप है की नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने 13 दशमलव भूमि पर कब्जा किया है. विश्व भारती प्राधिकरण की शिकायत के बाद जमीन वापस करने के लिए अमर्त्य सेन को 3 पत्र भेजे गए थे.जिससे विवाद खड़ा हो गया था. उसके बाद एक-एक कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा सीपीएम अमर्त्य सेन के पक्ष में आ गई है.बताया जाता है कि 1943 के पहले का यह दस्तावेज है. जब अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन ने वह जमीन विश्व भारती से लीज पर ली थी. यह दस्तावेज आज विश्व भारती बीएलआरओ को सौंपने जा रहा है.

सीएम ममता ने अमर्त्य सेन को दिए थे जमीन के कागजात

अथॉरिटी का दावा है कि उस दस्तावेज के मुताबिक सिर्फ 1.25 डिसमिल जमीन नोबेल पुरस्कार विजेता की है. पिछले काफी समय से विश्व भारती और अमर्त्य सेन के भूमि विवाद को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है. विश्व भारती के अनुसार, ‘प्रातीची’ के आसपास की 13 डिसमिल भूमि पर नोबेल पुरस्कार विजेता द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री खुद बोलपुर में ‘प्रातीची’ यानी अमर्त्य सेन के घर गई और नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ खड़ी हुई थी. उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई के बाद जमीन का कागजात अमर्त्य सेन को सौंपा था.

मुख्यमंत्री ने नोबेल पुरस्कार विजेता को आश्वासन दिया था कि जरूरत पड़ने पर वह फिर से मदद करेगी.लेकिन विश्व भारती की ओर से अमर्त्य सेन को दोबारा जमीन पर आपत्ति जताने के लिए तीन बार नोटिस भेजा गया. इन विवादों के बीच अमर्त्य सेन के प्रतिनिधि 11 तारीख को बोलपुर बीएलआरओ कार्यालय गए थे. एक आवेदन दिया गया था कि नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की जमीन का नामांतरण अपने नाम कराना चाहते है. सोमवार को बीएलआरओ कार्यालय में सुनवाई हुई.

0.13 डेसीमल जमीन का मामला है उलझा हुआ

अमर्त्य सेन इस दिन उपस्थित थे. उससे पहले विश्व भारती से लीज के दस्तावेज के अनुसार ‘1943 में अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन ने इसे विश्व भारती से लिया था. विश्व भारती के अनुसार वह भूमि 1.25 दशमलव की थी, 1.38 दशमलव की नहीं. यानी 0.13 डेसीमल जमीन का मामला उलझा हुआ है.

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