महाकुंभ में मौत और मुआवज़े का महाझूठ! अखिलेश ने उठाए 7 ज़हरीले सवाल – जवाब दे मोदी सरकार!

Mahakumbh Stampede: महाकुंभ भगदड़ में मौतों और मुआवज़े को लेकर अखिलेश यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने मृतकों की संख्या छिपाने और मुआवज़ा नकद देने पर सात बड़े सवाल उठाए. बोले “यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं, सच दबाने की संगठित साज़िश है.”

By Abhishek Singh | June 10, 2025 2:54 PM

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या और मुआवज़ा वितरण को लेकर सियासी भूचाल आता दिख रहा है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सीधा और तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि यह केवल एक प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं, बल्कि संगठित झूठ और सूचना प्रबंधन के ज़रिए सच को छिपाने की कोशिश है.

“सत्य की पड़ताल ही नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही आवश्यक है”

अखिलेश यादव ने कहा, “हमें सिर्फ़ सत्य की जांच नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे साझा करना भी ज़रूरी है. क्योंकि जब सत्य दबाया जाता है, तो झूठ कई चोगे पहनकर सामने आता है. हमें परते हटानी होंगी, नक़ाब उतारने होंगे, और यह उजागर करना होगा कि झूठ का महल कितना खोखला है.”

मृतकों की संख्या पर बड़ा सवाल: ’37 बनाम 82′

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाकुंभ भगदड़ में 37 मौतें हुई थीं. लेकिन स्वतंत्र और स्थानीय रिपोर्ट्स, चश्मदीदों और अस्पतालों के आँकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं 82 तक की संख्या सामने आ रही है. अखिलेश यादव ने इसे “सत्य बनाम तथ्य” की लड़ाई बताया और कहा, “अगर किसी की मौत पर भी आँकड़े छिपाए जा सकते हैं, तो फिर जीवन की क्या क़ीमत बचती है?”

“मृत्यु पर झूठ बोलने वाले किस नैतिकता से देश चला रहे हैं?”

सपा प्रमुख ने सवाल किया कि अगर कोई सत्ता पक्ष ऐसी त्रासदी में भी असत्य बोल सकता है, तो वह जनता के भरोसे और संवेदनाओं का कितना बड़ा अपमान कर रहा है. उन्होंने कहा, “जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वे झूठ के किस पाताल पर बैठकर अपने को राजधर्म का पालनकर्ता समझते हैं?”

मुआवज़ा नक़द में? नक़दी वितरण पर सवालों की बौछार

भगदड़ के पीड़ितों के परिजनों को दिए गए मुआवज़े में कथित नक़दी वितरण ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. अखिलेश यादव ने सरकार से सात सीधे सवाल पूछे:

1. मुआवज़ा नक़द क्यों दिया गया?

2. नक़दी आई कहाँ से?

3. जिनके परिवारों को नक़दी नहीं मिली, वह नक़द गया कहाँ?

4. नक़दी वितरण का आदेश किसने दिया?

5. क्या कोई लिखित आदेश या फाइल मौजूद है?

6. नक़द वितरण के पीछे किस नियम का हवाला दिया गया?

7. क्या मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव भी किसी स्तर से बनाया गया?

“यह रिपोर्ट अंत नहीं, सत्य की खोज की शुरुआत है”

अखिलेश यादव ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक रिपोर्ट या भाषण नहीं है यह एक यात्रा की शुरुआत है, जो महाकुंभ के दौरान हुई मौतों के पीछे के “महासत्य” की खोज का पहला अध्याय है.

“झूठ के सूचना-प्रबंधन से नहीं दबेगा सच”

उन्होंने कहा, “जब सत्य उजागर होता है, तो वह झूठ की परत-दर-परत खोलता है. चाहे वह झूठ कितना भी संगठित और सजाया गया हो. कोई भी सूचना-प्रबंधन, मीडिया-प्रबंधन या जन-प्रबंधन ऐसी सच्चाई को ज्यादा दिनों तक दबा नहीं सकता”

भाजपा को आत्म-मंथन की सलाह

अखिलेश यादव ने भाजपा नेताओं और उनके समर्थकों को आत्ममंथन करने की सलाह दी:

“आप खुद से पूछिए क्या आप एक ऐसे झूठ के सहभागी बन रहे हैं जो किसी की मौत को भी छिपा सकता है? अगर हाँ, तो यह सिर्फ़ नैतिक पतन नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का भी पतन है.”

“अब सवाल पूछे जाएंगे और जवाब भी दिए जाएंगे”

अखिलेश यादव का यह बयान न सिर्फ़ भाजपा को कटघरे में खड़ा करता है, बल्कि एक नई बहस की शुरुआत भी करता है: क्या सरकारी आँकड़े ही हमेशा अंतिम सच होते हैं? क्या मौतों की गिनती और मुआवज़े का वितरण भी अब राजनीति का औज़ार बन गया है?

सवाल अब गूंजने लगे हैं और अगर जवाब नहीं मिले, तो यह गूंज धीरे-धीरे गरज में बदल सकती है.

यह रिपोर्ट जन-जागरूकता, मीडिया विमर्श और प्रशासनिक पारदर्शिता की ज़रूरत को सामने लाती है. इसे साझा करें, पढ़ें और पूछें क्योंकि जब हम सवाल करते हैं, तभी सच्चाई ज़िंदा रहती है.