करार का उल्लंघन कर रहा है भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण : मुख्यमंत्री

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण पर मेरठ, मुरादाबाद और फैजाबाद की नागर विमानन परियोजनाओं पर काम नहीं करके करार की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए केंद्र से इस सिलसिले में मदद का अनुरोध किया है. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 7, 2016 7:11 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण पर मेरठ, मुरादाबाद और फैजाबाद की नागर विमानन परियोजनाओं पर काम नहीं करके करार की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए केंद्र से इस सिलसिले में मदद का अनुरोध किया है. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नागर विमानन मंत्री पी. अशोक गजपति राजू को लिखे गये एक पत्र में कहा कि केंद्र सरकार के अधीन एएआई ने वर्ष 2013 में राज्य सरकार के सामने एक कार्य योजना रखी थी जिसमें प्रदेश में मौजूद हवाई अड्डों के विकास के साथ-साथ नये हवाई अड्डे स्थापित करने की परियोजनाएं भी शामिल थी.

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार से मुफ्त जमीन उपलब्ध कराये जाने की मांग की गयी थी. इस पर राज्य सरकार मेरठ, मुरादाबाद एवं फैजाबाद की राजकीय हवाई पट्टियों को नागरिक हवाई अड्डे के रुप में विकसित करने के लिए प्राधिकरण को देने और उनके आवश्यक विकास के लिए अतिरिक्त भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए सहमत हुई थी. मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि आगरा, इलाहाबाद, कानपुर नगर और बरेली स्थित भारतीय वायुसेना के हवाई अड्डे पर भी नये सिविल इन्क्लेव की स्थापना के लिए भी राज्य सरकार ने जमीन देने पर रजामंदी जाहिर कर दी थी. इन सातों परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बीच अलग-अलग सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुए थे.

अखिलेश ने पत्र में आरोप लगाया कि प्राधिकरण इन समझौतों का पालन नही कर रहा है. उसने आगरा, इलाहाबाद, कानपुर नगर एवं बरेली की परियोजनाओं पर तो काम करने की बात कही है लेकिन मेरठ, मुरादाबाद और फैजाबाद की परियोजनाओं के लिए यह कहते हुए मना कर दिया कि वे परियोजनाएं आर्थिक रुप से नुकसानदेह साबित होगी. नागर विमानन मंत्रालय से अनुमोदन मिलने के बाद ही प्राधिकरण इन परियोजनाओं के विकास की कार्यवाही करेगा. अखिलेश ने पत्र में कहा कि इन योजनाओं पर इतनी अधिक पैरवी होने के बाद ऐसा मत व्यक्त किया जाना ना तो स्वीकार्य और ना ही उचित है. यह करार की शर्तों का उल्लंघन भी है.

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