वृंदावन में एक बार फिर होली खेलेंगी विधवा महिलाएं

लखनऊ : सदियों पुरानी परंपरा को एक बार फिर तोड़ते हुए वाराणसी और वृंदावन में रहने वाली हजारों विधवा महिलाएं इस साल भी रंगों का त्यौहार मनाएंगी. मंदिरों का शहर वृंदावन आगामी तीन मार्च से रंगों के जरिये वर्जनाएं टूटने का गवाह बनेगा. सुहाग खोने के बाद बेरंग जिंदगी जी रही विधवा महिलाओं को समाज […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 25, 2015 6:48 PM
लखनऊ : सदियों पुरानी परंपरा को एक बार फिर तोड़ते हुए वाराणसी और वृंदावन में रहने वाली हजारों विधवा महिलाएं इस साल भी रंगों का त्यौहार मनाएंगी. मंदिरों का शहर वृंदावन आगामी तीन मार्च से रंगों के जरिये वर्जनाएं टूटने का गवाह बनेगा.
सुहाग खोने के बाद बेरंग जिंदगी जी रही विधवा महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने की विस्तृत योजना के तहत यह कार्यक्रम आयोजित कर रही संस्था ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने आज बताया कि हजारों विधवा महिलाएं वृंदावन में तीन मार्च से गुलाल से होली खेलेंगी. इसके लिए एक हजार किलोग्राम गुलाल का इंतजाम किया गया है.
उन्होंने बताया कि सुलभ की पहल पर पिछले साल से वृंदावन में विधवाएं होली मना रही हैं. इस साल पहली बार वाराणसी की विधवा महिलाएं भी इस त्यौहार में हिस्सा लेंगी. कुछ दिन पहले बनारस में भी विधवाओं ने अस्सी घाट पर होली खेली थी.
पाठक ने कहा कि आमतौर पर हिन्दू समाज में पति की मौत के बाद महिलाओं के रंग खेलने और रंगीन कपड़े पहनने पर रोक रही है. विधवा औरतों की होली में भागीदारी के जरिये समाज की सोच बदलने की कोशिश की जाएगी. हालांकि यह आसान नहीं है लेकिन हम विनम्र प्रयास कर रहे हैं.
वृंदावन, वाराणसी और उत्तराखंड में त्रसद जिंदगी जीने वाली विधवा महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने की पहल करने वाले पाठक ने कहा कि बेवा औरतों के लिए होली का आयोजन करना सदियों पुरानी रुढि को बदलने और विधवाओं को इंसानों की जिंदगी में वापस लाने की कोशिश है. वे भी इंसान हैं. सुलभ इंटरनेशनल ने हजारों ऐसी महिलाओं की देखभाल करने और उन्हें रोजगार का प्रशिक्षण देकर सम्मानपूर्ण जीवन देने का बीड़ा उठाया है. गौरतलब है कि वृंदावन में रहने वाली विधवा महिलाओं की बदहाली को लेकर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगायी थी.

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