लोकसभा चुनाव : क्या कांग्रेस की पहली सूची से सपा-बसपा को लगा है झटका ?

नयी दिल्ली/लखनऊ : कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार देर शाम उत्तर प्रदेश और गुजरात की 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की जिसमें यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के भी नाम हैं जो इस बार भी अपनी परंपरागत सीटें क्रमश: रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 8, 2019 8:05 AM

नयी दिल्ली/लखनऊ : कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार देर शाम उत्तर प्रदेश और गुजरात की 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की जिसमें यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के भी नाम हैं जो इस बार भी अपनी परंपरागत सीटें क्रमश: रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ेंगे.

सूत्रों के मुताबिक पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस सूची को मंजूरी मिली.

लोकसभा चुनाव : क्या कांग्रेस की पहली सूची से सपा-बसपा को लगा है झटका ?

पार्टी ने उत्तर प्रदेश के लिए 11 और गुजरात के लिए चार उम्मीदवार घोषित किये हैं. रायबरेली लोकसभा सीट के लिए सोनिया गांधी के उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही उन अटकलों पर विराम लग गया जिनमें कहा जा रहा था कि यूपीए प्रमुख शायद स्वास्थ्य कारणों से इस बार चुनाव नहीं लड़ें और उनके स्थान पर उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी मैदान में उतरें.

यह सूची ऐसे समय में रिलीज की गयी है जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में कांग्रेस को शामिल किये जाने की चर्चाएं मीडिया की सुर्खियां हैं. इससे पहले सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को सिर्फ़ दो सीटें दी गई थीं जिन्हें लेने से कांग्रेस ने साफ मना कर दिया था. इसके बाद हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव थोड़े नरम पड़ते दिखे और कांग्रेस के इनकार के बावजूद भी उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब भी गठबंधन में है.

लोकसभा चुनाव : कांग्रेस की पहली सूची जारी, सोनिया रायबरेली और राहुल अमेठी से होंगे उम्मीदवार

जानकारों की मानें तो कांग्रेस का सपा-बसपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाएगा. कांग्रेस छोटी-छोटी पार्टियों को ढूंढ रही है. इसलिए इस बार सपा-बसपा, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला नजर आएगा. इस निर्णय से कांग्रेस को नुक़सान भी हो सकता है और दूसरी तरफ़ से लाभ भी मिल सकता है. इस त्रिकोणीय मुक़ाबले में कांग्रेस को अगड़ी जातियों का वोट मिल सकता है और इस कारण भाजपा को नुक़सान उठाना पड़ सकता है. इस तरह की रणनीति के तहत कांग्रेस अकेले लड़ना चाहती है.

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