यूपी राज्यसभा चुनाव : एक या दो विधायक बना-बिगाड़ सकते हैं पूरा खेल, ऐसे बिछाई है बाजी

लखनऊ : देश में राज्यसभा की कुल 58 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें कुल 63 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें बिहार से छह सांसद निर्विरोध चुन भी लिये गये हैं.23 मार्च, शुक्रवार को सात राज्यों की 26 सीटों पर वोटिंग होना है.राज्यसभा का सबसे रोचक चुनाव उत्तरप्रदेश की दसवीं सीट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 22, 2018 7:35 PM

लखनऊ : देश में राज्यसभा की कुल 58 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें कुल 63 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें बिहार से छह सांसद निर्विरोध चुन भी लिये गये हैं.23 मार्च, शुक्रवार को सात राज्यों की 26 सीटों पर वोटिंग होना है.राज्यसभा का सबसे रोचक चुनाव उत्तरप्रदेश की दसवीं सीट पर शुक्रवार को होना है. जिसमें बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के बीच सीधा मुकाबला है.

अनिल अग्रवाल गाजियाबाद के बड़े कारोबारी हैं. उत्तरप्रदेश में विधानसभा संख्या बल के हिसाब से बीजेपी के आठ सीटों पर और नौवीं सीट पर सपा की जया बच्चन की जीत पक्की है. यह तय है कि यूपी में राज्यसभा का यह चुनाव उसी तरह चर्चा मे आएगा, जिस तरह पिछले साल गुजरात में राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की उम्मीदवारी के बाद उनकी जीत व हार को लेकर रोचक मुकाबला हुआ था.

उत्तरप्रदेश में यह चुनाव भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं बसपा अध्यक्ष मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कौशल की परीक्षा होगी. विपक्ष में यह चुनाव मायावती से अधिक अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गयी है. अगर अखिलेश विपक्षी उम्मीदवार को जीत दिलाते हैं तो उनके मायावती से रिश्ते और मधुर होंगे. इस चुनाव से मायावती व कांग्रेस के बिगड़े रिश्ते भी पटरी पर आ सकते हैं. उसकी वजह भी बहुत स्पष्ट है, बसपा के 19 विधायक हैं जिनमें 17 ने एक बैठक कर अपनी एकजुटता दिखाई है. इनमें एक मुख्तार जेल में बंद हैं.
आज शाम उसके लिए मायावती बैठक भी करने जा रही हैं. चुनौती सपा के अतिरिक्त नौ विधायकों का वोट कराने, निर्दलीयों व छोटी पार्टियों को विधायकों को जोड़ने व कांग्रेस के सात विधायकों का एकमुश्त वोट विपक्षी उम्मीदवार को दिलाने की है. जीत के लिए 37 विधायकों का वोट आवश्यक है और सपा-बसपा व भाजपा के बीच लड़ाई इतनी नाजुक है कि एक से दो एमएलए भी पूरी बाजी पलट सकते हैं.
यूपी में निषाद पार्टी के विजय मिश्रा व अमरमणि त्रिपाठी एवं राजा भैया के वोट इस चुनाव में अहम माने जा रहे हैं. राजा भैया कल रात अखिलेश यादव को रात्रि भोज में शामिल हुए थे, इससे यह संकेत मिला है कि उनका समर्थन बसपा-सपा के साझे उम्मीदवार को मिलेगा. वहीं, सपा नेता शिवपाल यादव के समर्थक माने जाने वाले विजय मिश्र ने बीजेपी को वोट देने का एलान कर दिया है.
विजय मिश्र निषाद पार्टी के विधायक हैं और इसी निषाद पार्टी के संस्थापक के पुत्र प्रवीण निषाद ने बीते सप्ताह गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में जीते थे. वहीं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के बाद ओम प्रकाश राजभर के तेवर नरम हो गये हैं और उन्होंने बीजेपी को समर्थन देने के संकेत दिये हैं. वे सुहेलदेव समाज पार्टी के हैं. कल योगी ने भी विधायकों को रात्रिभोज पर बुलाया था, इसमें बीजेपी एमएलए के अलावा राजभर, नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल व अमनमणि त्रिपाठी भी पहुंचे थे.
वहीं, जेल में बंद बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी और सपा एमएलए हरिओम यादव जेल में बंद हैं. अगर वे मतदान के लिए पहुंचते हैं तो यह बसपा-सपा के पक्ष में होगा. बहरहाल, सत्तापक्ष व विपक्ष की खेमेबाजी अंतिम दौर में पहुंच गयी है और कल यह देखना दिलचस्प होगा कि जीत किसे मिलती है.

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