अयोध्या: रामलला को परेशानी में देख दौड़ पड़ते हैं ये तीन मुस्लिम युवक

लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट में आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई शुरू होगी. इसी बीच राम लला को लेकर एक वाक्या चर्चे में है. दरअसल , अयोध्या में जो राम लला की जन्मभूमि है, वहां की रक्षा तीन मुस्लिम लोगों के जिम्मे हैं. जब भी मौसम की मार पड़ती है, तो ये ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 5, 2017 1:12 PM

लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट में आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई शुरू होगी. इसी बीच राम लला को लेकर एक वाक्या चर्चे में है. दरअसल , अयोध्या में जो राम लला की जन्मभूमि है, वहां की रक्षा तीन मुस्लिम लोगों के जिम्मे हैं. जब भी मौसम की मार पड़ती है, तो ये ही राम लला की रक्षा करते हैं. पीडबल्यूडी विभाग मुश्‍किल की घड़ी में इन्हें ही याद करते हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, जन्मभूमि के पास जो कंटीली तारे हैं उनकी सुरक्षा का जिम्मा अब्दुल वाहिद करते हैं. अब्दुल पेशे से वेल्डर हैं, और 250 रुपये प्रति दिहाड़ी के हिसाब से मंदिर की सुरक्षा करते हैं. वाहिद ने बताया कि वह 1994 से ही यहां पर अपनी सेवा दे रहे हैं, उन्हें उनके पिता ने काम सिखाया था. 2005 में जन्मभूमि पर जब हमला हुआ था, तब उन्होंने ही यहां पर कई बैरियर बनाने का काम किया था और उनकी अब तक लगातार देखभाल कर रहे हैं.

दूसरे मुस्लिम युवक सादिक अली की बात करें तो वह पेशे से दर्जी हैं. सादिक पिछले काफी समय से रामलला की मूर्ति के लिए कपड़े सिलने का काम कर रहे हैं. अखबार ने सादिक के हवाले से लिखा है कि उन्हें यह काम राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सौंपते हैं जिसे वह बहुत ही मन लगा कर करते हैं. उसने कहा कि भगवान तो सभी के लिए एक ही हैं. मेरा परिवार पिछले काफी समय से साधुओं के लिए कपड़े सिलने का करता आ रहा है. यहां तक कि कोर्ट में जो मंदिर विवाद के याचिकाकर्ता हैं उनके लिए सदरी भी वही सिलते हैं.

तीसरा शख्‍स महबूब है जो कि मंदिर में बिजली के काम को देखते हैं. महबूब के अनुसार, 1995 में सीताकुंड के पास सामुदायिक रसोई के लिए पानी की व्यवस्था उन्होंने ही मोटर लगाकर की थी. उसके बाद से ही वह मंदिर में बिजली की व्यवस्था देखने का काम करते हैं.

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