प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की अब खैर नहीं, पकड़े गये तो नर्सिंग होम पर भी होगी कार्रवाई

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों की अब खैर नहीं…जानकारी के अनुसार यदि ऐसा करते हुए पाया गया तो उसके साथ उस नर्सिंग होम का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया जाएगा, जहां वह डॉक्टर काम करता पाया जाएगा. प्रैक्टिस करते हुए पकड़े जानें पर आयकर विभाग से कमाई की जांच […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 13, 2017 8:38 AM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों की अब खैर नहीं…जानकारी के अनुसार यदि ऐसा करते हुए पाया गया तो उसके साथ उस नर्सिंग होम का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया जाएगा, जहां वह डॉक्टर काम करता पाया जाएगा. प्रैक्टिस करते हुए पकड़े जानें पर आयकर विभाग से कमाई की जांच भी सरकार करायेगी. वहीं बर्खास्तगी के साथ ही एमसीआई डॉक्टरी की डिग्री भी निरस्त कर दी जाएगी.

सूबे की योगी सरकार ने हर जिले में एक कमेटी बनाकर इसकी निगरानी करने के भी आदेश जारी किये हैं. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी की ओर से मामले को लेकर आदेश जारी किये गये हैं. प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े गये डॉक्टरों से नॉन प्रैक्टिस एलाउंसेज के तौर पर किये गये भुगतान की पूरी राशि वसूलने का काम किया जाएगा. डीएम और सीएमओ के माध्यम से इसके रोकथाम के संबंध में होर्डिंग लगाकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.

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पहली बार हो रहा है ऐसा
पहली बार सरकार ने सरकारी डॉक्टरों से अपने नर्सिंग होम में काम कराने वालों पर भी कार्रवाई के आदेश जारी किये हैं. नियमानुसार सभी वैध नर्सिंग होम-निजी अस्पताल को जिले के सीएमओ के यहां रजिस्ट्रेशन के दौरान स्थायी और जरूरत पर बुलाये जाने वाले डॉक्टरों की पूरी सूची और ब्योरा उपलब्ध कराना होगा जिसमें सरकारी डॉक्टर का नाम नहीं होता. प्राइवेट प्रैक्टिस से हुई कमाई की जांच को भी सरकार ने काले धन के खुलासे के तौर पर निशाने पर लिया है. जो डॉक्टर प्रैक्टिस में पकड़े जाएंगे उनकी आय की पूरी जांच अलग-अलग एजेंसियों से कराने के साथ आयकर विभाग से भी सरकार करायेगी.

जानें कितने डॉक्टर हैं लिप्त
कुल डॉक्टरों में से करीब 40 फीसदी डॉक्टर आंशिक या पूर्ण रूप से प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त हैं. राजधानी लखनऊ के बड़े अस्पतालों से लेकर दूरदराज के छोटे अस्पतालों तक के डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में व्यस्त रहते हैं. कई डॉक्टर दूरस्थ पीएचसी-सीएचसी पर तैनाती लेकर शहरों में प्रैक्टिस कर रहे हैं.

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