ट्रेन हादसा: घायलों को रिक्शा और ठेले में लादकर ले गए

अमित सैनीखतौली से बीबीसी हिंदी के लिएउत्तर प्रदेश में मुज़फ्फ़रनगर के खतौली में हुए रेल हादसे के चश्मदीदों का कहना है कि घटना के वक़्त वहां का मंज़र भयावह था.एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, ”जिस वक़्त हादसा हुआ, चारों तरफ़ धूल और धुएं का प्रकोप था. पत्थर छिटक रहे थे. आसपास रोने की आवाज़ें सुनाई दे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 20, 2017 8:04 AM

अमित सैनी
खतौली से बीबीसी हिंदी के लिए
उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फ़रनगर के खतौली में हुए रेल हादसे के चश्मदीदों का कहना है कि घटना के वक़्त वहां का मंज़र भयावह था.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, ”जिस वक़्त हादसा हुआ, चारों तरफ़ धूल और धुएं का प्रकोप था. पत्थर छिटक रहे थे. आसपास रोने की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं. पास में मौजूद चाय की दुकान वाले भी रो रहे थे.”
उन्होंने आगे कहा, ”हमने आसपास के लड़कों की मदद से तुरंत फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना शुरू किया.
उत्तर प्रदेश के मुज़़फ्फ़रनगर में खतौली के पास कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. यह ट्रेन पुरी से हरिद्वार जा रही थी.
इस हादसे में अब तक कम से कम 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.
80 से ज़्यादा लोग जख़्मी हुए हैं. घायलों को खतौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और मुज़फ़्फ़रनगर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है.
घटना को लेकर एक अन्य चश्मदीद ने पुलिस प्रशासन के उस दावे को ख़ारिज किया है जिसमें कहा जा रहा था कि घटना के तुरंत बाद पुलिस ने राहत-बचाव शुरू कर दिया था.
चश्मदीद ने कहा, ”ये बिल्कुल ग़लत है. शाम 5:40 बजे ये हादसा हुआ और पुलिस 6:30 बजे मौक़े पर पहुंची. तब तक स्थानीय लोग रिक्शे और ठेले में लादकर घायलों को आगे ले गए.”

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