UP News: भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल समेत 18 लोगों को सजा, मायावती सरकार में किया था ये काम

कोर्ट के फैसले के बाद सांसद आरके सिंह पटेल ने कहा कि एकपक्षीय फैसला सुनाया गया है. प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया है. प्रदर्शन के दौरान हुए लाठी चार्ज में उनको गंभीर चोट आई थी.

By Prabhat Khabar | November 21, 2022 5:41 PM

Lucknow News: बसपा सरकार में समाजवादी पार्टी के चित्रकूट जनपद में प्रदर्शन मामले में कोर्ट ने बांदा-चित्रकूट से भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल और दस्यु ददुआ के बेटे पूर्व सपा विधायक वीर सिंह सहित 18 लोगों को सजा सुनाई है.

इसमें 15 लोगों को एक वर्ष और पुतला फूंकने वाले तीन आरोपियों को तीन महीने की सजा सुनाई है. प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर पथराव और ट्रेन रोकने के मामले में सीजेएम कोर्ट ने ये सजा सुनाई है. इस मामले में सांसद ने फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है.

16 सितंबर 2009 को तत्कालीन मायावती सरकार में सपा ने सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था. इस मामले में चित्रकूट की सदर कोतवाली पुलिस ने 19 लोगों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. इसमें से एक आरोपी तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष राजबहादुर सिंह यादव की मौत हो चुकी है. मामले में आरोपी मौजूदा भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल और मौजूदा नगर पालिका चेयरमैन नरेंद्र गुप्ता सहित छह आरोपी पूर्व में सपा में शामिल थे.

प्रकरण में सोमवार को दोष सिद्ध होने पर मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय ने सांसद आरके सिंह पटेल, नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता, दस्यु ददुआ के पुत्र पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल, सपा नेता सत्यनारायण पटेल, निर्भय सिंह गौतम, शक्ति प्रताप सिंह तोमर, भैयालाल यादव, गौरीशंकर मिश्रा, मो.गुलाब खां, भोलानाथ खंगार, कुबेर पटेल, विनय प्रकाश, हरिगोपाल मिश्रा, कमल सिंह मौर्य, मनोज सिंह, रामगोपाल, राजेंद्र शुक्ला और महेंद्र गुलाटी को सजा सुनाई है. इसमें से सांसद समेत 15 लोगों को एक-एक वर्ष की और तीन लोगों को तीन-तीन माह की सजा सुनाई है.

कोर्ट के फैसले के बाद सांसद आरके सिंह पटेल ने कहा कि एकपक्षीय फैसला सुनाया गया है. प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया है. प्रदर्शन के दौरान हुए लाठी चार्ज में उनको गंभीर चोट आई थी. इसकी चिकित्सीय रिपोर्ट फाइल में संलग्न है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह जिला न्यायालय और आवश्यकता होने पर उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

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