Rourkela News: भाषा, संस्कृति व परंपरा को अक्षुण्ण रखे कुड़मी समाज : रोहिताश्व महतो

Rourkela News: स्वतंत्रता सेनानी रघुनाथ महतो की जयंती पर झूमर संध्या आयोजित हुई. इसमें बंगाल, झारखंड व ओडिशा के कुड़मी समुदाय के लोग जुटे.

By BIPIN KUMAR YADAV | March 22, 2025 11:30 PM

Rourkela News: कुड़माली सांस्कृतिक अखड़ा राउरकेला ने शुक्रवार शाम भंज भवन परिसर में महान स्वतंत्रता सेनानी रघुनाथ महतो की 287वीं जयंती धूमधाम से मनायी. बतौर मुख्य अतिथि जोड़ाबांध हाइस्कूल के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक व भाषाविद रोहिताश्व महतो ने कहा कि भाषा, संस्कृति और परंपरा ही जाति की पहचान है. कुड़मी जाति को भी अपनी भाषा, संस्कृति व परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए सभी के मिल-जुलकर प्रयास करने की जरूरत है. जिस समाज की संस्कृति जितनी अधिक सुदृढ़ है, वह उतना ही समृद्ध है. शहीद रघुनाथ महतो ने स्वाधीनता व अपने गौरव की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया. हमें भी उनसे प्रेरणा लेकर तन-मन-धन से सहयोग करने व संघर्ष के लिए आगे आना होगा.

कुड़माली भाषा की पढ़ाई और रोजगार के क्षेत्र में इसके उपयोग पर दिया बल

मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू कॉलेज चक्रधरपुर के कुड़माली भाषा विभाग के प्रमुख मनसा महतो ने कुड़माली भाषा व संस्कृति की महता पर जानकारी दी. उन्होंने झारखंड और बंगाल की तरह ओडिशा में भी प्राथमिक कक्षा से लेकर विश्वविद्यालय तक कुड़माली भाषा की पढ़ाई एवं रोजगार के क्षेत्र में इसके उपयोग पर बल दिया. साथ ही कहा कि इसके लिए सरकार से मांग की जा रही है एवं इसे पाने के लिए संघर्ष जारी रखना होगा. इस कार्यक्रम में झारखंड, ओडिशा व पश्चिम बंगाल के कुड़मी समाज के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता लक्ष्मण महतो ने की एवं कुड़माली सांस्कृतिक अखड़ा के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला. सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षक मधुसूदन महतो ने संपादकीय विवरण प्रस्तुत किया. सुभाष महतो ने कार्यक्रम का संचालन किया.

संतोष महतो व टीम ने झूमर नृत्य-संगीत प्रस्तुत किया

इस मौके पर प्रख्यात झूमर गायक संतोष महतो व टीम ने नृत्य-संगीत प्रस्तुत किया. जिस पर उपस्थित कुड़मी समाज के लोग ताल से ताल मिलाकर नाचते-झूमते नजर आये. संतोष महतो ने कहा कि हमने अपनी भाषा, परंपरा व संस्कृति को बचाकर रखा है, जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकूल परिवेश बनेगा. यह हमें प्रकृति के साथ मिल-जुलकर रहने की सीख देती है. साथ ही इसे बचाकर रखने के लिए सभी का योगदान जरूरी है. मौके पर अखड़ा के कुणोकांत महतो, धरणीधर महतो, सीताराम महतो, मनोरंजन महांत समेत अन्य लोगों ने अहम भूमिका निभायी.

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