अवैध खनन निगल जायेगी साहिबगंज की खूबसूरती

अनदेखी. 281 में मात्र 94 के पास पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र, ना सरकार और ना प्रशासन को है चिंता अवैध खदानों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा खनन विभाग साहिबगंज : जिस हिसाब से साहिबगंज जिले में पहाड़ों को तोड़ कर पत्थरों का उत्खनन अवैध रूप से किया जा रहा है, इससे वह समय दूर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2017 4:52 AM

अनदेखी. 281 में मात्र 94 के पास पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र, ना सरकार और ना प्रशासन को है चिंता

अवैध खदानों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा खनन विभाग
साहिबगंज : जिस हिसाब से साहिबगंज जिले में पहाड़ों को तोड़ कर पत्थरों का उत्खनन अवैध रूप से किया जा रहा है, इससे वह समय दूर नहीं जब साहिबगंज की प्राकृतिक खूबसूरती मिट जायेगी. जिले भर में करीब 300 पत्थर खदान संचालित हो रहे हैं. इनमें से मात्र 94 ही वैध हैं बांकि के सभी अवैध रूप से चल रहे हैं. अब तक इन अवैध खदान संचालकों पर कभी कार्रवाई नहीं की जाती. ज्यादा हो हंगामा होने पर एक-आध खदानों पर कार्रवाई कर प्रशासन खानापूर्ति कर लेता है.
इन अवैध खदानों के पास न तो पर्यावरण नियंत्रण का सर्टिफिकेट (एनजीटी) है न सीटीओ पत्र. साथ ही आज तक इन अवैध खदान संचालकों ने कभी माइनिंग चालान बनवाने की जहमत तक नहीं उठायी. जबकि नियम है कि बिना एनजीटी, सीटीओ व माइनिंग चालान के किसी भी खदान का संचालन करना कानूनन जुर्म है. इस मामले में प्रशासन भी पूरी तरह आंख मूंदे हुए है. न तो इनकी पड़ताल कभी की जाती न कभी इन पर कार्रवाई होती है.
टास्क फोर्स भी कुंद पड़ा : बता दें कि अवैध खनन की लगातार शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने आदेश पारित किया था कि जिलों में टास्क फोर्स का गठन किया जाय जो इन खदानों पर नजर रखेगी. तत्कालीन डीसी उमेश प्रसाद सिंह के कार्यकाल में टास्क फोर्स बना भी. लेकिन आज तक यह टीम कायदे से काम नहीं कर रही. शुरुआती दौर में कुछ काम भी हुआ. अधिकांश अवैध पत्थर खदान कुछ दिनों तक बंद भी रहे. टास्क फोर्स को कुंद पड़ते देख संचालकों ने फिर से अवैध खनन चालू कर दिया.
क्या है नियम : किसी भी खदान को संचालित करने से पहले खनन विभाग से पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना है. इसके बाद सीटीओ के आवेदन देकर स्वीकृति लेनी है. इस स्वीकृति के बाद खदान संचालक एक माह में जितने भी पत्थर निकाले जायेंगे उसका अग्रिम चालान खनन विभाग में जमा करना है. तभी वहां पत्थरों का उत्खनन किया जा सकता है. लेकिन कोई इस जहमत काे उठाना नहीं चाहता.
कार्रवाई होगी, कब होगी पता नहीं
जब भी खनन विभाग से पूछा जाता है तो एक ही जवाब मिलता है इन अवैध पत्थर खदानों पर कार्रवाई होगी. लेकिन कब होगी इसका आज तक पता नहीं चल पाया. इसपर अंकुश लगाने में विभाग पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है. खनन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 281 खदानों में मात्र 94 को ही एनजीटी सर्टिफिकेट मिला है. बांकि के सभी अवैध हैं. इन खदान संचालकों ने कभी सीटीआे सर्टिफिकेट के लिए भी कभी मुख्यालय में आवेदन नहीं दिया.
वैध खदान संचालक भी मनमानी पर
चूंकि पत्थरों के उत्खनन व क्रशरों के चलने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. इसलिए खनन विभाग ने निर्देश दिया है कि जहां भी पत्थरों का खनन करेंगे उसके आसपास पौधारोपण जरूर करें. ताकि पर्यावरण संतुलित रह सके. एक दो खदान को छोड़ दिया तो कोई भी खदान ऐसा नहीं करता. चंद रुपयों के कारण प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
नष्ट हो रहे पहाड़
अवैध पत्थर उत्खनन का आलम यह है कि रोज पहाड़ नष्ट हो रहे हैं, सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा. यदि यही हाल रहा तो जिस रफ्तार से पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है एक वर्ष के अंदर साहिबगंज की मनाेरम वादी वीरान हो जायेगी.
खनन विभाग की टीम जिले के सभी पत्थर खदानों पर जांच जल्द करेगी. जिन खदान संचालकों के पास पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र व सीटीओ नहीं है, वैसे पत्थर खदानों को बंद कराया जायेगा.
कृष्ण कुमार किस्कू, जिला खनन पदाधिकारी, साहिबगंज.
किसके पास सीटीओ पता नहीं
जब भी टास्क फोर्स की टीम खदानों पर निरीक्षण करने पहुंचती है तो वैध रूप से खदान संचालक उक्त टीम को पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण दिख देते हैं. टीम उनसे सीटीओ के बारे में पूछती तक नहीं है.

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