रेलवे स्वास्थ्य केंद्र : घटती गयीं सुविधाएं, मरीज हुए नदारद

रांची रेलवे स्टेशन स्थित दक्षिण-पूर्व रेलवे स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों मरीजों की संख्या कम ही दिखती है.

By Prabhat Khabar | December 9, 2020 9:05 AM

रांची : रांची रेलवे स्टेशन स्थित दक्षिण-पूर्व रेलवे स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों मरीजों की संख्या कम ही दिखती है. ऐसा इसलिए नहीं है कि रेल कर्मचारी या उनके परिजन बीमार नहीं हो रहे हैं, बल्कि कारण यह कि यहां डॉक्टर निर्धारित समय पर बैठते ही नहीं हैं. स्वास्थ्य केंद्र में आनेवाले रेलकर्मी, सेवानिवृत्त कर्मी व उनके परिजन काफी देर तक डाॅक्टर का इंतजार कर लौट जाते हैं.

रेलवे द्वारा यहां एक स्थायी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार को पदस्थापित किया गया है, लेकिन वह कई दिनों से छुट्टी पर हैं. वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट पर चिकित्सक को रखा गया है. सोमवार को दूसरी पाली में चिकित्सक नहीं थे. जिस कारण मरीज लौट गये. पूछने पर केंद्र के कर्मी ने बताया चिकित्सक का फोन आया था कि वह नहीं आयेंगे. वहीं, मंगलवार को निर्धारित समय 9.30 की जगह चिकित्सक 10.26 बजे केंद्र पहुंचे.

इसके अलावे मरीजों की संख्या कम होने के कई कारण हैं. पहले जहां केंद्र में खून, पेशाब व स्टूल की जांच के लिए सैंपल लिया जाता था, वह अब बंद हो गया है. जांच के लिए मरीज को हटिया जाना पड़ता है या फिर निजी सेंटर. वहीं, महिला चिकित्सक का नहीं होना भी एक बड़ा कारण है.

चिकित्सक की दो जगह है ड्यूटी : केंद्र में जिस डॉक्टर की ड्यूटी रहती है उनकी ड्यूटी स्टेशन पर भी रहती है. इस कारण मरीजों को परेशानी है. वहीं दो जगह ड्यूटी होने का लाभ चिकित्सक भी उठाते हैं. केंद्र पर नहीं होने पर कर्मी कहते हैं चिकित्सक आ रहे हैं थोड़ा इंतजार करें.

सूचना पट के अनुसार से नहीं होता इलाज

केंद्र में एक सूचना पट टांगा गया है. इस बाबत वहां के कर्मी से पूछा गया तो बताया कि यह सूचना पट्ट 10 वर्षों से अधिक समय से टंगा हुआ है. लेकिन सूचना पट पर दी गयी जानकारी के अनुसार यहां न तो चिकित्सक हैं और न ही मरीजों का इलाज होता है. इसलिए यहां मरीजों कम आते हैं. सूचना पट पर चर्म रोग, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, विशेष स्वास्थ्य जांच, प्रसव पूर्व एवं बाद की जांच की सुविधा होने की बात कही गयी है, लेकिन जब महिला चिकित्सक ही नहीं हैं, तो जांच क्या होगी.

स्थायी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार अभी अवकाश पर हैं. कॉन्ट्रैक्ट पर डॉक्टर अभी मरीजों को देख रहे हैं. उन्हें स्टेशन पर स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को देखने की जिम्मेवारी है. इस कारण शायद केंद्र पर आने में विलंब हुआ होगा.

-नीरज कुमार, सीपीआरओ

प्रबंधन ने कहा: ऑल इज वेल

रांची. रांची रेल डिवीजन के एकमात्र रेल अस्पताल में भर्ती मरीज व उनके परिजनों ने व्यवस्था को लेकर नाराजगी व्यक्त की है, जिसे नकारते हुए रेल प्रबंधन का कहना ऑल इज वेल. अस्पताल में भर्ती मरीजों के अनुसार यहां खाने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वह घर से ही खाना मंगाते हैं. पहले खाना डीआरएम ऑफिस के कैंटीन से आता था, लेकिन कोरोना काल में कैंटीन बंद होने से खाना रनिंग रूम से आना लगा.

लेकिन इसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है. अस्पताल के सफाईकर्मी उत्तम मुखी के पुत्र लखन मुखी ने कहा कि पिताजी 15 दिनों से इलाज करा रहे है. यहां हड्डी के चिकित्सक नहीं हैं. इसके बावजूद उन्हें रेफर नहीं किया गया. हालांकि, खबर छपने के बाद मंगलवार को अस्पताल प्रबंधन ने रेफर का कागज बना कर दिया और एंबुलेंस की व्यवस्था करायी. वहीं, अस्पताल की एंबुलेंस अक्तूबर से ही खराब होने पर रेलवे का कहना है कि अस्पताल के पास दो एंबुलेंस है जिसमें एक खराब है और दूसरे से काम लिया जा रहा है.

जबकि अस्पताल के कर्मी ने कहा कि एक एंबुलेंस खराब है और दूसरी एंबुलेंस जो काॅन्ट्रैक्ट पर लिया गया था उसकी अवधि 30 नवंबर को समाप्त हो गयी थी. खबर प्रकाशित होने पर अस्पताल प्रबंधन ने काॅन्ट्रैक्ट पर ली गयी एंबुलेंस को दोबारा रिन्युअल किया है. लेकिन एक एंबुलेंस कब से खराब है, इसकी जानकारी रेलवे द्वारा नहीं दी गयी. दूसरी ओर गुंडा विहार के स्टेशन मास्टर राकेश सरकार की मौत पर रेलवे का कहना है कि उनकी मौत रिम्स में हुई थी, जबकि अस्पताल कर्मी ने कहा कि मौत रास्ते में हुई थी.

वहीं, ऑक्सीजन पाइप लाइन से सप्लाई नहीं होने के बारे में रेलवे का कहना है कि ऑक्सीजन पाइप लाइन पूरी तरह काम कर रहा है. जबकि अस्पताल कर्मी ने कहा कि कोराेना काल में ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछायी गयी थी. तब तत्कालीन डीसी राय महिमापत रे ने अस्पताल प्रबंधन को ऑक्सीजन पाइप लगाने का कहा था, लेकिन अब तक यह कार्यशील नहीं है.

posted by : sameer oraon

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