प्रभात खबर वेबिनार : चुनौतीपूर्ण समय में एक-दूसरे का सहारा बनना सीखना होगा

कोरोना काल में लोग विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहे हैं. लोगों के बीच तेजी से मानसिक समस्याएं, अवसाद और तनाव बढ़ रहे हैं. इस समस्या से उभरने के लिए प्रभात खबर की ओर से शुक्रवार को वेबिनार का आयोजन किया गया

By Prabhat Khabar Print Desk | July 11, 2020 4:01 AM

रांची : कोरोना काल में लोग विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहे हैं. लोगों के बीच तेजी से मानसिक समस्याएं, अवसाद और तनाव बढ़ रहे हैं. इस समस्या से उभरने के लिए प्रभात खबर की ओर से शुक्रवार को वेबिनार का आयोजन किया गया. ‘आत्महत्या क्यों? जब जीने की है वजह’ विषय पर मनोचिकित्सक और काउंसेलर ने विचार रखे. वक्ताओं ने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय में लोगों को एक-दूसरे का सहारा बनने की जरूरत है.

इससे अकेलेपन, अवसाद और तनाव से जूझ रहे लोगों को मदद मिलेगी. आत्महत्या किसी तरह की बीमारी नहीं है. आत्महत्या करने के पीछे कई कारण हो सकते है. इससे बचने के लिए एकमात्र उपाय है कि नकारात्मक विचार को त्याग कर सकारात्मक सोचें.

व्यवहार में परिवर्तन होने लगे, तो तुरंत लें सलाह : डाॅ साक्षी राय ने कहा कि लोग आत्महत्या उदासीन व्यवहार की वजह से करते हैं. लोगों के बीच स्ट्रेस एक सामान्य प्रतिक्रिया है, जबकि अवसाद ग्रसित लोगों को चिकित्सीय सलाह की जरूरत पढ़ सकती है. किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने से बचाने के लिए उन्हें अकेलेपन से बाहर निकालना होगा.

जिस किसी व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव की अवधि दो सप्ताह से ज्यादा है, उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. वैसे लोग जिन्होंने अचानक किसी से मिलना छोड़ दिया हो, दुखी रहने लगें, शारीरिक ऊर्जा में कमी महसूस कर रहे हैं, रुचिकर विषय में रुचि नहीं ले रहे हैं, तो यह अवसाद के लक्षण हैं. इससे उभारने के लिए सहयोग करना जरूरी है.

समस्या का समाधान नहीं है आत्महत्या : डाॅ अनुराधा वत्स ने कहा कि आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. जीने की वजह लाेग अपने सोच के अनुसार खोजते हैं. नकारात्मक सोच की वजह से अक्सर लोग उदासीन प्रवृत्ति के हो जाते हैं. इससे व्यक्ति अपने मनोस्थिति पर नियंत्रण खो देता है. खुद को सकारात्मक रखकर आत्महत्या से बचा जा सकता है.

तनाव और अवसाद में रहनेवाले लोगों की मदद कर उनमें बदलाव लाया जा सकता है. वैसे परिवार या इलाके जिनके बीच आत्महत्या की घटना हुई हो, उन्हें प्रोत्साहित करते रहने की जरूरत है. वहीं, जिन लोगों को अवसाद के लक्षण महसूस हों उन्हें अपनी परेशानी साझा करनी चाहिए.

लोग अब इगो और साइबर आत्महत्या कर रहे हैं : डाॅ मधुमिता भट्टाचार्य ने कहा कि जिस परिस्थिति को लोग खुद नहीं संभाल पाते हैं, वही तनाव का कारण बनता है. वहीं, आत्महत्या करने से पहले भी किसी व्यक्ति के लक्षण को पहचाना जा सकता है. वैसे लोग जो दूसरों के संपर्क से दूर हो रहे हैं, गुस्सा या चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं, दोस्तों के बीच तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं, छोटी-छोटी बात को इगो में ले लेते हैं, ये सभी आगे चलकर आत्महत्या के कारण बनते हैं.

ऐसे लक्षण वाले लोगों को ज्ञान न देकर उनका ध्यान रखने की जरूरत है. वर्तमान में आत्महत्या के केस 18 से 29 वर्ष के लोगों के बीच ज्यादा है. इस उम्र सीमा के लोग अक्सर इगो और साइबर आत्महत्या का शिकार बन रहे हैं. ऐसे में इस उम्र सीमा के लोगों को आशावादी बनाना जरूरी है.

‘आत्महत्या क्यों ? जब जीने की है वजह’ विषय पर हुई चर्चा : प्रो रेणु दीवान ने कहा कि वैसे लोग जो व्यावहारिक और शारीरिक रूप से लोगों के बीच से दूर हो रहे हैं, उन्हें मदद की जरूरत है. अक्सर ऐसे लक्षण आत्महत्या को बढ़ावा देते हैं. इन दिनों लोग सामाजिक दायित्व से बचने के लिए खुद को दूसरों से दूर कर रहे हैं.

अवसाद व तनाव से बचने के लिए न केवल सकारात्मक सोच की चर्चा जरूरी है, बल्कि इसे आत्मसात करना भी जरूरी है. आत्महत्या के आंकड़े देखें तो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में परिवार में पुरुष सदस्यों को अकेले नहीं छोड़ उनसे लगातार संवाद करते रहें. इससे मानसिक तनाव या अवसाद की स्थिति से उन्हें बचाया जा सकता है.

जीवन में हमेशा दूसरा प्लान तैयार रखें : काउंसेलर कांता खेतावत ने कहा कि लोगों को नकारात्मक सोच से बचने की जरूरत है. यह न तो खुद के लिए और न ही दूसरों के प्रति बेहतर है. लोग अवसाद या तनाव में हो तो उन्हें अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थिति में सही समय का इंतजार करें. विपरीत परिस्थिति में खुद के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने की जरूरत है.

खुद को संभाले रखने के लिए जीवन में हमेशा दो-तीन वैकल्पिक मार्ग बनाये रखना चाहिए. इससे तनाव व अवसाद ग्रसित होने से बचा जा सकता है. बच्चों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए अभिभावक अपनी उम्मीद बच्चों पर थोपना छोड़ें. किसी के लिए निर्णायक नहीं बनें. उन्हें जानने, परिस्थिति के साथ खुद को स्वीकार करने और खुद की इज्जत करने की जरूरत है.

Post by : Pritish Sahay

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