माथे पर गठरी लिये नंगे पांव रांची पहुंचे प्रवासी मजदूर

पैरों में चप्पल नहीं, माथे पर गठरी, गोद में कुपोषित बच्चे और आंखों में गरीबी व मजबूरी का भाव. कुल मिला अपनी यही थाती लिये चेन्नई से लौटे झारखंड के प्रवासी मजदूर. पर हर मजबूरी व परेशानी झेलने के बावजूद इनके चेहरे पर घर वापसी का सुकून साफ झलक रहा था. बुधवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 1037 प्रवासी मजदूर वापस लौटे.

By Prabhat Khabar | May 14, 2020 1:34 AM

रांची : पैरों में चप्पल नहीं, माथे पर गठरी, गोद में कुपोषित बच्चे और आंखों में गरीबी व मजबूरी का भाव. कुल मिला अपनी यही थाती लिये चेन्नई से लौटे झारखंड के प्रवासी मजदूर. पर हर मजबूरी व परेशानी झेलने के बावजूद इनके चेहरे पर घर वापसी का सुकून साफ झलक रहा था. बुधवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 1037 प्रवासी मजदूर वापस लौटे. ट्रेन सुबह 7.30 बजे हटिया स्टेशन पहुंची. सबसे पहले मजदूरों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए थर्मल स्केनिंग करायी.

करीब आधा दर्जन मजदूरों का बॉडी टेंप्रेचर अधिक मिलने पर उन्हें रोका गया. फिर कुछ देर बाद जांच में सही पाये जाने पर उन्हें जाने दिया गया. कुल 49 बसों से सभी मजदूरों को उनके गांव-घर रवाना करने से पहले उन्हें नाश्ते के पैकेट व शीतल पेय दिये गये. एक मजदूर जितेंद्र कुमार ने कहा कि वहां सेटरिंग का काम करते थे. पिछले दो माह से काम बंद रहने से पैसे खत्म हो गये थे. सरकार व संस्था के भरोसे भोजन चल रहा था. अपने तीन बच्चों के साथ चेन्नई से ही लौटी वंदना ने कहा कि वह गोड्डा की रहने वाली है. पति वहीं एक सैलून में काम करते थे, जो लॉकडाउन में बंद हो गया. पांच लोगों का परिवार मुश्किल से चल रहा था. सरकार को लाने के लिए उन्होंने धन्यवाद दिया. यात्रियों ने कहा कि उनसे टिकट का पैसा नहीं लिया गया.

कुल 1037 प्रवासी मजदूर आये चेन्नई से हटिया स्टेशन पहुंचे 1037 प्रवासी मजदूरों को बसों से उनके जिलों के लिए भेजा गया. इनमें बोकारो के 27, चतरा के 01, देवघर के 53, धनबाद के 01, दुमका के 21, पूर्वी सिंहभूम के 26, गिरिडीह के 01, गोड्डा के 09, जामताड़ा के 09, लातेहार के 48, लोहरदगा के 09, रामगढ़ के 04, गढ़वा के 329, पलामू के 448, रांची के 11, सरायकेला-खरसावां के 28, साहिबगंज का एक और पूर्वी सिंहभूम के 11 प्रवासी मजदूर शामिल हैं.

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