झारखंड सरकार ने नहीं दिया सीक्रेट सर्विस फंड के सर्विस का हिसाब, जानें किस काम में होता है इस राशि का इस्तेमाल

गुप्त सेवा के नाम पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए खर्च का प्रशासनिक ऑडिट करने का नियम है. प्रशासनिक ऑडिट के बाद महालेखाकार को सिर्फ एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. इसमें यह लिखा होता है कि एसएस फंड का खर्च सही व नियमानुसार किया गया है. नियमानुसार एक वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद दूसरे वित्तीय वर्ष के दौरान 31 अगस्त तक पहले खर्च हो चुके एसएस फंड के खर्च से संबंधित प्रमाण पत्र महालेखाकार को सौंप देना है.

By Prabhat Khabar | April 7, 2021 10:41 AM

Jharkhand News, Ranchi News, Secret Service Fund Jharkhand रांची : राज्य सरकार ने 10 साल के सीक्रेट सर्विस फंड (एसएस फंड) के खर्च का हिसाब(प्रमाण पत्र) महालेखाकार को नहीं दिया है. इस फंड का इस्तेमाल राज्य पुलिस गुप्त सूचनाएं जुटाने के लिए करती है. पुलिस को गुप्त सूचना देनेवालों के नाम और पता आदि सार्वजनिक नहीं हो, इसके मद्देनजर महालेखाकार को एसएस फंड के ऑडिट का अधिकार नहीं दिया गया है.

गुप्त सेवा के नाम पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए खर्च का प्रशासनिक ऑडिट करने का नियम है. प्रशासनिक ऑडिट के बाद महालेखाकार को सिर्फ एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. इसमें यह लिखा होता है कि एसएस फंड का खर्च सही व नियमानुसार किया गया है. नियमानुसार एक वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद दूसरे वित्तीय वर्ष के दौरान 31 अगस्त तक पहले खर्च हो चुके एसएस फंड के खर्च से संबंधित प्रमाण पत्र महालेखाकार को सौंप देना है.

गुप्त सूचनाएं जुटाने में इस्तेमाल किया जाता है यह फंड
उच्चस्तरीय समिति करती है प्रशासनिक ऑडिट

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति एसएस फंड के खर्च की प्रशासनिक ऑडिट करती है. इसमें एडीजी स्पेशल ब्रांच की ओर से समिति के समक्ष खर्च का विस्तृत ब्योरा पेश किया जाता है. समिति द्वारा संतुष्ट होने पर मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से खर्च को सही करार देते हुए प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.

2005-06 में सरकार ने बढ़ा दी थी फंड की राशि

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2005-06 के बजट में एसएस फंड अचानक कई गुना बढ़ा दिया था. वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन भारी नकदी निकासी के बाद वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगाये गये थे. इसके बाद से राज्य में एसएस फंड का हिसाब समय पर नहीं देने की परंपरा शुरू हुई. काफी विवाद के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ने 2005-06 में एसएस फंड के खर्च की प्रशासनिक ऑडिट की.

हालांकि उन्होंने प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया. 2005-06 के बाद के वित्तीय वर्षों में एसएस फंड की राशि फिर कम कर दी गयी. 2005-06 से 2018-19 तक की अवधि में सरकार ने सिर्फ वित्तीय वर्ष 2006-07, 2009-10 और 2010-11 के खर्च का प्रमाण पत्र महालेखाकार को दिया. इस तरह पिछले 10 साल के दौरान एसएस फंड के खर्च का प्रमाण पत्र महालेखाकार को नहीं दिया.

एसएस फंड के बकाये हिसाब का ब्योरा
वित्तीय वर्ष खर्च               राशि                                     अफसर

2005-06 8.30 करोड़ पुलिस महानिदेशक

2007-08 4.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2008-09 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2012-13 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2013-14 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2014-15 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2015-16 3.00 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2016-17 3.10 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2017-18 3.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2018-19 4.20 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version