साइबर ठगी के मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट सख्त, कहा- जब्त करनी होगी साइबर अपराधियों की संपत्ति

झारखंड में बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट ने कहा - जब्त करनी होगी साइबर अपराधियों की संपत्ति

By Prabhat Khabar | January 16, 2021 6:53 AM

jharkhand cyber crime news , jharkhand high court on cyber crime, रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुक्रवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि साइबर ठगी का मामला काफी गंभीर है. झारखंड का जामताड़ा जिला पूरी दुनिया में चर्चित हो गया है. कब, काैन, कहां ठगा जायेगा, कहना मुश्किल है.

कल आपकी भी बारी आ सकती है. साइबर ठगी के मामलों में जब तक अपराधियों की संपत्ति जब्त नहीं होगी, तब तक अपराध कम नहीं होंगे. खंडपीठ ने कहा कि सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, ताकि साइबर आरोपियों को कड़ी सजा मिल सके. कुछ साल की सजा काट कर साइबर ठग लोगों के पैसे पर मौज करते हैं. इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए. खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि बिहार में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए विशेष कानून बने हुए हैं.

क्या झारखंड में भी संपत्ति जब्त करने का कोई कानून है? खंडपीठ ने केंद्र सरकार के वित्त सचिव, निदेशक आयकर अनुसंधान व प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के निदेशक को मामले में प्रतिवादी बनाया तथा जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी.

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इससे पूर्व प्रार्थी मनोज कुमार राय की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि जामताड़ा, देवघर व धनबाद साइबर ठगी के केंद्र बन गये हैं. साइबर अपराधियों की संपत्ति जब्त की जानी चाहिए, क्योंकि लोगों को ठग कर संपत्ति बनायी होती है.

जामताड़ा जिला पूरी दुनिया में चर्चित हो गया कब, काैन, कहां ठगा जायेगा, कहना मुश्किल है

कुछ साल की सजा काट कर साइबर ठग लोगों के पैसे पर मौज करते हैं, कड़ी सजा मिलना जरूरी

हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा : क्या बिहार की तरह झारखंड में भी संपत्ति जब्त करने का कोई कानून है

मुझे भी ठगने का किया था प्रयास

सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस डॉ रंजन ने अपने अनुभव शेयर किये. उन्होंने बताया कि उन्हें भी साइबर ठगों ने फोन किया था. फोन करनेवाले ने उनसे कहा कि नाप तौल से आपने समान की खरीदारी की है. लकी कूपन ड्राॅ के तहत आपको टाटा सफारी कार मिलनी है. इसे आप कैसे लेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि वह गिफ्ट नहीं लेते हैं.

इसके बाद दूसरी तरफ से कहा गया कि आप अपना बैंक खाता संख्या बतायें, उसमें कार के मूल्य का 12 लाख रुपये डाले जायेंगे. इनकार करने के बाद भी एक सप्ताह तक कॉल आता रहा. जब उन्होंने यह कहा कि अगला कॉल आयेगा, तो एफआइआर करेंगे, तब जाकर कॉल आने का सिलसिला बंद हुआ. चीफ जस्टिस ने दूसरा उदाहरण देते हुए बताया कि पटना में एक बार हाइकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनायी गयी थी. उस पर नौकरी का विज्ञापन दिया गया. बाद में फर्जी वेबसाइट चलानेवाला पकड़ा गया.

Posted By : Sameer Oraon

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