डॉ गिरधारी राम गौंझू को मिला मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार, झारखंड को दिलायी थी अलग पहचान

डॉ गिरिधारी राम गौंझू को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है, वे झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद, साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी रहे हैं. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने इसकी घोषणा की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2022 12:54 PM

रांची : नागपुरी साहित्य को अलग पहचान दिलाने वाले प्राख्यात विद्वान डॉ गिरधारी राम गौंझू की पत्नी सरस्वती गौंझू को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. ये सम्मान कल यानी कि सोमवार को दिया गया. कुछ महीनों पहले ही उन्होंने रिम्स में अंतिम सांस ली थी. उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है

बता दें कि भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा की थी. ये सम्मान उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दिया गया. डॉ गौंझू की लेखनी में हमेशा झारखंड की मिट्टी की सुगंध आती थी. अखरा निंदाय गेलक’ पलायन पर आधारित पुस्तक उनकी सबसे महत्वपूर्ण लेखनी में से एक थी.

5 दिसंबर, 1949 को हुआ था जन्म

उनका जन्म खूंटी के बेलवादाग गांव में 5 दिसंबर, 1949 को हुआ था उनके पिता का नाम इंद्रनाथ गौंझू एवं माता का नाम लालमणि देवी था. वर्ष 1975 में गुमला के चैनपुर स्थित परमवीर अलबर्ट एक्का मेमोरियल कॉलेज से अध्यापन कार्य शुरू किये थे. यहां वे वर्ष 1978 तक रहे. इसके बाद रांची के गोस्सनर कॉलेज, रांची कॉलेज रांची और रांची यूनिवर्सिटी स्नातकोत्तर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए. डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक रहे. इनकी अब तक 25 से भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके अलावा कई नाटकें भी लिखी हैं.

अव्यवस्था ने ली थी जान

झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद, साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी गिरिधारी राम गौंझू की मौत रांची के रिम्स में हुआ था. उससे पहले उनके परिजनों को नौ अस्पतालों में बेड नहीं मिलने कारण निराश होना पड़ा था. जिस पर राज्यपाल ने भी शोक जताया था और अस्पतालों के रवैये से असंतुष्ट हुए थे.

Posted By: Sameer Oraon

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