झारखंड में हाइ फ्लो ऑक्सीजन नहीं मिलने से हुई 40 फीसदी संक्रमितों की मौत, जानें किन मरीजों को पड़ती इसकी जरूरत

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, अॉक्सीजन सपोर्टेड बेड व हाई फ्लो ऑक्सीजन की कमी भी मौत की वजह बतायी जा रही है. राजधानी के दो बड़े सरकारी अस्पतालों के अलावा दर्जन भर निजी अस्पतालों में अॉक्सीजन सपोर्टेड बेडों की संख्या 1389 हैं. वहीं, गंभीर मरीजों के लिए अतिरिक्त 528 आइसीयू बेड हैं. आपातकालीन परिस्थिति के लिए रिजर्व 21 बेड को छोड़ सभी बेड भरे पड़े हैं. यानी किसी अस्पताल में गंभीर संक्रमितों के इलाज के लिए कोई जगह नहीं है.

By Prabhat Khabar | April 24, 2021 10:10 AM

Jharkhand Coronavirus Update, High-Flow Oxygen Patients Jharkhand Death Rate रांची : कोराना की दूसरी लहर के बीच शुक्रवार को सुबह 10 बजे तक पूरे राज्य में करीब 602 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अकेले रांची में ही मरनेवालों की संख्या 60 से ज्यादा है. अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं, उनमें करीब 40 फीसदी कोरोना संक्रमित लोगों की मौत समय पर पर्याप्त मात्रा में हाइ फ्लो ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण हुई है.

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, अॉक्सीजन सपोर्टेड बेड व हाई फ्लो ऑक्सीजन की कमी भी मौत की वजह बतायी जा रही है. राजधानी के दो बड़े सरकारी अस्पतालों के अलावा दर्जन भर निजी अस्पतालों में अॉक्सीजन सपोर्टेड बेडों की संख्या 1389 हैं. वहीं, गंभीर मरीजों के लिए अतिरिक्त 528 आइसीयू बेड हैं. आपातकालीन परिस्थिति के लिए रिजर्व 21 बेड को छोड़ सभी बेड भरे पड़े हैं. यानी किसी अस्पताल में गंभीर संक्रमितों के इलाज के लिए कोई जगह नहीं है.

कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन लेवल तेजी से घटने लगता है

कोरोना पीड़ित के इलाज की जो गाइडलाइन है, उसमें मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट भी शामिल है, चूंकि वायरस फेफड़ों को संक्रमित कर सांस की तकलीफ बढ़ाता है, जिससे नसें ब्लॉक हो जाती है. इस वजह से शरीर में ऑक्सीजन लेवल तेजी से घटने लगता है. उन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसके लिए वेंटिलेटर से ऑक्सीजन थैरेपी देकर ऑक्सीजन देने का प्रयास किया जाता है. इसके जरिए मरीज को एक मिनट में 60 लीटर तक ऑक्सीजन दी जा सकती है.

85 से नीचे के अॉक्सीजन लेवल वाले संक्रमितों को हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत होती है. यह जान बचाने में कई गुणा कारगर है. नेजल विधि व वेंटीलेटर से कई गुना अधिक ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचाई जाती है. जबकि मास्क के जरिए फेफड़ों में प्रति मिनट पांच से 12 लीटर ऑक्सीजन ही पहुंचता है. इसलिए सामान्य सिलिंडर थोड़ी देर के लिए मामूली राहत दे सकता है.

– डॉ विकास गुप्ता, मेडिकल ऑफिसर, सदर अस्पताल

Posted By : Sameer Oraon

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